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सब्‍जी विक्रेता का बेटों ने किया टॉप, बनना चाहते हैं आईएएस

Teja
17 March 2022 10:46 AM GMT
सब्‍जी विक्रेता का बेटों ने किया टॉप, बनना चाहते हैं आईएएस
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कहते हैं न कि जहां चाह है, वहां राह भी है. परिस्‍थ‍ित‍ियां चाहे जो भी हों, मेहनत करने वालों को उसे खुद पर हावी नहीं होने देते

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कहते हैं न कि जहां चाह है, वहां राह भी है. परिस्‍थ‍ित‍ियां चाहे जो भी हों, मेहनत करने वालों को उसे खुद पर हावी नहीं होने देते. बिहार की इंटरमीडिएट परीक्षा में टॉप करने वाले दो छात्रों ने कुछ ऐसी ही मिसाल कायम की है. कॉमर्स स्‍ट्रीम से टॉप करने वाल अंकित कुमार के पिता एक सब्‍जी विक्रेता हैं और आर्ट्स स्‍ट्रीम में टॉप करने वाले संगम राज के पिता ई रिक्‍शा चलाकर अपने घर का खर्च चलाते हैं. दोनों के सामने वित्‍तीय परेशान‍ियां थी. जिस घर का खर्च मुश्‍क‍िल से चल पाता हो, वहां पढाई और किताबों का खर्च भी मुश्‍क‍िल से ही उठता होगा

बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड, बीएसईबी ने 16 मार्च 2022 को कक्षा 12वीं के परिणाम 2022 घोषित किए हैं. इसमें 13,25,789 छात्र उपस्थित हुए थे, जिसमें से 10,62,557 छात्रों या 80.15 फीसदी छात्रों ने परीक्षा पास की है. इस बार भी लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों से बेहतर रहा. लेकिन शीर्ष स्थान पर लड़कों ने इस बार कब्‍जा जमाया. पिछले साल लडकियों ने तीनों स्‍ट्रीम में अव्‍वल स्‍थान हासिल किया था.
सिविल सेवा में जाना चाहते हैं अंकित
अंकित कुमार ने 500 में से 473 अंक या कुल मिलाकर 94.6 प्रतिशत हासिल करके कॉमर्स स्ट्रीम में टॉप किया है. वह पटना के बीडी कॉलेज के छात्र हैं और उनके पिता सब्जी विक्रेता हैं. COVID लॉकडाउन और घर की परेशानियों के बीच पढाई करना आसान नहीं था, लेकिन अंकित कहते हैं कि ये परेशानियां तो तभी जाएंगी, जब मैं कुछ बनूंगा. और बनूंगा तभी जब मेहनत करूंगा. मेरा भाग्‍य तभी बदलेगा. अंकित, सिविल सेवक बनना चाहते हैं. Also Read - Bihar Board 10th, 12th Results 2022: बिहार बोर्ड मैट्र‍िक और इंटर की परीक्षा पास करने के लिए लाने होंगे कितने नंबर, जानें
दृढ़ संकल्प के कारण हुए सफल
गोपालगंज के कटघरवा क्षेत्र के रहने वाले संगम राज, वीएम इंटर कॉलेज के छात्र हैं. उन्‍होंने 500 में से 482 या 96.4% अंक हासिल कर आर्ट्स स्ट्रीम में टॉप किया है. उनके पिता जनार्दन शाह एक ई-रिक्शा चालक हैं. संगम राज ने बताया कि कोविड-19 के दौरान घर का खर्च चलाना मुश्‍कि‍ल हो रहा था. ऐसे में किताबों का खर्च उठाने के लिए पिता को कहने में भी ऐसा लगता था कि कुछ ज्‍यादा मांग रहे हैं. पिता ने उनकी पढाई के लिये जि‍तनी मेहनत की, उतनी ही मेहनत संगम राज ने उनके भरोसे को कायम रखने के लिये की. और वह सफल हुए.


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