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उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती मामला, निलंबित सचिव की विजिलेंस जांच के आदेश
jantaserishta.com
21 Feb 2023 10:36 AM GMT
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देहरादून (आईएएनएस)| उत्तराखंड विधानसभा में हुई बैकडोर भर्तियों के मामले में कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने उत्तराखंड विधानसभा के निलंबित सचिव मुकेश सिंघल के खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मंजूरी के बाद कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं। विधानसभा में हुई बैकडोर भर्तियों के मामले में सरकार ने 25 सितंबर 2022 को मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया था। मुकेश सिंघल पर विधानसभा में 32 पदों की भर्तियों में लिखित परीक्षा कराने वाली एजेंसी को बिल जमा कराने के दो दिन के भीतर ही 59 लाख रुपये के भुगतान का भी आरोप है।
विधानसभा में भर्ती के लिए जमकर भाई भतीजावाद किया गया। आरोप है कि विधानसभा में 72 लोगों की नियुक्ति में मुख्यमंत्री के स्टाफ विनोद धामी, ओएसडी सत्यपाल रावत से लेकर पीआरओ नंदन बिष्ट तक की पत्नियां नौकरी पर लगवाई गई हैं। मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के पीआरओ की पत्नी और रिश्तेदार को भी नौकरी दी गई है। इसके साथ ही मदन कौशिक के एक पीआरओ आलोक शर्मा की पत्नी मीनाक्षी शर्मा ने विधानसभा में नौकरी पाई है तो दूसरे की पत्नी आसानी से विधानसभा में नौकरी लेने में कामयाब हो गई।
आरोप है भी है कि बिना किसी परीक्षा के पिक एंड चूज के आधार पर सतपाल महाराज के पीआरओ राजन रावत भी विधानसभा में नौकरी पर लग गए। इसके अलावा रेखा आर्य के पीआरओ और भाजपा संगठन महामंत्री के करीबी गौरव गर्ग को भी विधानसभा में बैकडोर से नौकरी मिली है।
इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े पदाधिकारियों के करीबी और रिश्तेदारों को भी विधानसभा में बैकडोर भर्तियों के जरिए एडजस्ट किया गया है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के पीआरओ आलोक शर्मा की पत्नी मीनाक्षी शर्मा को भी नियुक्ति दी गई।
दरअसल आरोप है कि, उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्तियों के जरिए अपर निजी सचिव समीक्षा, अधिकारी समीक्षा अधिकारी, लेखा सहायक समीक्षा अधिकारी, शोध एवं संदर्भ, व्यवस्थापक, लेखाकार सहायक लेखाकार, सहायक फोरमैन, सूचीकार, कंप्यूटर ऑपरेटर, कंप्यूटर सहायक, वाहन चालक, स्वागती, रक्षक पुरुष और महिला के पदों पर नियुक्तियां हुई है।
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