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भारत को लेकर USCIRF की वार्षिक रिपोर्ट आई सामने, धार्मिक स्वतंत्रता पर कही यह बात
jantaserishta.com
26 April 2022 6:27 AM GMT
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किसान आंदोलन
नई दिल्ली: यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) की वार्षिक रिपोर्ट जारी कर दी गई है. एक बार फिर इस रिपोर्ट में भारत को लेकर धार्मिक आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगा है. वहीं सुझाव दिया गया है कि भारत को अभी विशेष चिंता वाले देश की श्रेणी में रखा जाए. इस रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया है कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ भेदभाव होता है और हिंदू राष्ट्र बनाने पर जोर दिया जा रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले साल भारत द्वारा उन आवाजों को सबसे ज्यादा दबाया गया जो या तो सरकार के खिलाफ रहीं या फिर जो अल्पसंख्यक समाज की तरफ से उठाई गईं. रिपोर्ट में लिखा है कि 2021 में भारत सरकार द्वारा विरोध के सुरों को दबाया गया है, जिन्होंने अल्पसंख्यक समाज की आवाज उठाई या फिर उनकी पैरवी की. उन पर UAPA और देशद्रोह के तहत मामले दर्ज किए गए. ऐसा पाया गया है कि UAPA और देशद्रोह कानून के जरिए भय का माहौल बनाने का प्रयास किया गया और उन लोगों को चुप किया गया जो सरकार के खिलाफ बोलते.
USCIRF ने अपनी रिपोर्ट में भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी स्टेन स्वामी का भी जिक्र किया जिनका पिछले साल 84 साल की उम्र में निधन हो गया. रिपोर्ट में कहा गया कि 84 साल के स्टेन स्वामी जिन्होंने लंबे समय तक आदिवासी और दलित समुदाय की आवाज उठाई, उन पर गलत तरीके से UAPA लगाया गया. जुलाई 2021 में कस्टडी में उनकी मौत हो गई.
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि भारत सरकार द्वारा उन पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया जिन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रही हिंसा का मुद्दा उठाया. इस लिस्ट में USCIRF ने मानवाधिकार कार्यकर्ता खुरम परवेज का भी जिक्र किया जिसे NIA द्वारा टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था. रिपोर्ट में इस बात पर भी आपत्ति जताई गई कि त्रिपुरा में जिन पत्रकारों ने मस्जिदों पर हुए हमलों को लेकर ट्वीट किया, उन्हीं पर UAPA के तहत कार्रवाई की गई.
इस सब के अलावा रिपोर्ट के एक हिस्से में भारत में चल रहे 'धर्म परिवर्तन' को लेकर भी खुलकर बोला गया. रिपोर्ट में बताया गया कि गैर हिंदुओं के खिलाफ धर्मांतरण पर कानून लागू किया जा रहा है जिस वजह से मुस्लिम, ईसाई जैसे अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा देखने को मिल रही है. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि धर्मांतरण विरोधी कानूनों का इस्तेमाल सिर्फ इंटरकास्ट मैरेज के खिलाफ किया जा रहा है. इस बात पर जोर रहा कि कई राज्यों द्वारा हाल के दिनों में ही इंटरकास्ट मैरेज का अपराधीकरण कर दिया गया.
धर्मांतरण का ही जिक्र करते हुए USCIRF की तरफ से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी नाम लिया गया है. कहा गया है कि पिछले साल जून में सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन लोगों के खिलाफ NSA लगाने की बात कही थी जो धर्मांतरण मामले में दोषी पाए जाएंगे.
USCIRF ने अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार द्वारा ला गए CAA कानून का भी खुलकर विरोध किया. NRC प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठाए गए. इसे भेदभाव वाला बताते हुए लिखा गया कि असम में जो एनआरसी प्रक्रिया की गई, उस वजह से 19 लाख लोग लिस्ट से बाहर कर दिए गए. करीब सात लाख मुस्लिम अपनी नागरिकता खोने की कगार पर खड़े हैं.
अब बात सिर्फ धर्मांतरण या फिर अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों तक सीमित नहीं रखी गई. रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया कि कोरोना काल के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के साथ भेदभाव हुआ. Oxfam रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि भारत में 2021 में 33 फीसदी मुस्लिम ऐसे रहे जिन्हें अस्पतालों में भेदभाव का सामना करना पड़ा. इसके अलावा दलित और आदिवासी समुदाय के लोगों को भी भेदभाव महसूस हुआ.
USCIRF ने अपनी रिपोर्ट में किसान आंदोलन का भी जिक्र करते हुए बड़ा आरोप लगाया. कहा गया कि एक देशव्यापी आंदोलन में शामिल हुए सिखों को 'आतंकवादी' बताया गया. अब इन्हीं सब आरोपों के आधार पर USCIRF की तरफ से सुझाव दिया गया है कि भारत को विशेष चिंता वाले देश की श्रेणी में रखा जाए. इसके अलावा इस बात पर भी जोर रहा कि धार्मिक अधिकारों का जिन भी लोगों द्वारा उल्लंघन किया गया है, उनकी अमेरिकी में एंट्री पर रोक लगा दी जाए, उनकी संपत्ति को जब्त करने जैसे कदम भी उठाए जाएं.
वैसे USCIRF की इस रिपोर्ट पर भारत सरकार द्वारा अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. लेकिन पिछली बार भी भारत सरकार द्वारा इस प्रकार की रिपोर्ट को पूर्वाग्रहों पर आधारित बताया था. तब इस बात पर भी जोर रहा था कि विदेशी संस्थाओं को भारत के मामलों पर हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.
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