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भारत की के मदद लिए सामने आए अमेरिका NRI, भेजेंगे एक हजार आक्सीजन कंसंट्रेटर और बाइपेप मशीनें

Apurva Srivastav
3 May 2021 6:07 PM GMT
भारत की के मदद लिए सामने आए अमेरिका NRI, भेजेंगे एक हजार आक्सीजन कंसंट्रेटर और बाइपेप मशीनें
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अमेरिका में रह रहे भारतीयों ने कोरोना महामारी में भारत की मदद के लिए निजी तौर पर हाथ बढ़ाया है।

अमेरिका में रह रहे भारतीयों ने कोरोना महामारी में भारत की मदद के लिए निजी तौर पर हाथ बढ़ाया है। अमेरिका के 12 से 15 एनजीओ मिलकर भारत को मेडिकल उपकरण पहुंचा रहे हैं। हाल ही में 150 आक्सीजन कंसंट्रेटर भारत पहुंच चुके हैं और अगले सप्ताह तक एक हजार आक्सीजन कंसंट्रेटर, बाइपेप मशीनें, पीपीई किट, सर्जिकल मास्क और अन्य मेडिकल उपकरण भारत पहुंचेंगे। इन उपकरणों को सरकारी अस्पतालों और एनजीओ को वितरित किया जाएगा।

अमेरिका से भारत में सामग्री पहुंचाने में मदद कर रहे हैं मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्मे और दुनियाभर में लाजिस्टिक का काम करने वाली अमेरिकी कंपनी फेडेक्स एक्सप्रेस के वाइस प्रेसीडेंट राकेश शालिया। राकेश का कहना है कि अमेरिका के विभिन्न शहरों से इस समय फंड एकत्रित किया जा रहा है और इससे मेडिकल उपकरण खरीदे जा रहे हैं। इन उपकरणों को भारत में किस तरह पहुंचाया जाए, यह चुनौतीभरा काम है। हमारी कंपनी के पास 700 निजी एयरक्राफ्ट हैं। सामग्री पहुंचाने में इनकी मदद ली जा रही है। भारत सरकार के अधिकारियों से भी इस बारे में बात चल रही है। हमारे निवेदन पर भारत सरकार ने अमेरिका से आने वाले मेडिकल उपकरणों के लिए कस्टम प्रक्रिया को आसान बना दिया है और उपकरणों के लिए जीएसटी में भी छूट दी गई है। एक सप्ताह में हम यहां से एयरक्राफ्ट पहुंचा रहे हैं। इनमें एक हजार आक्सीजन कंसंट्रेटर, बाइपेप मशीनें, पीपीई किट, सर्जिकल मास्क, ग्लब्स और अन्य उपकरण होंगे। सामग्री को दिल्ली एयरपोर्ट पर उतारा जाएगा। यहां से दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, अहमदाबाद, कोलकाता, इंदौर और भोपाल तक मेडिकल उपकरण पहुंचाए जाएंगे।
परिवार के सदस्यों के लिए भी भेज रहे उपकरण
राकेश का कहना है कि भारत सरकार की ओर से हमें एक पत्र प्राप्त हुआ है। इसमें छूट दी गई है कि अमेरिका में रह रहे एनआरआइ अपने परिवार के सदस्यों को व्यक्तिगत उपहार के तौर पर मेडिकल उपकरण पहुंचा सकते हैं। कस्टम की आसान प्रक्रिया और जीएसटी में छूट मिलने से एनआरआइ के उपहार भी हम भारतीयों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।


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