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फाइल फोटो
एशियाई शेरों के लिए प्रसिद्ध गिर के जंगल में पिछले दो साल की अवधि में 283 शेर, शेरनी और शावकों की मौत हो चुकी है.
अहमदाबाद: एशियाई शेरों के लिए प्रसिद्ध गिर के जंगल में पिछले दो साल की अवधि में 283 शेर, शेरनी और शावकों की मौत हो चुकी है. गुजरात सरकार की ओर से इस बात की जानकारी विधानसभा में लिखित रूप से दी गई है. विपक्षी कांग्रेस के एक विधायक की ओर से पूछे गए सवाल का गुजरात सरकार के वन मंत्री जगदीश विश्वकर्मा ने लिखित जवाब दिया.
गुजरात विधानसभा के चालू सत्र के दौरान सावरकुंडला से कांग्रेस के विधायक प्रताप दुधात ने शेरों की मौत को लेकर सवाल पूछा था. इसका जवाब सरकार की ओर से वन मंत्री जगदीश विश्वकर्मा ने लिखित में दिया. वन मंत्री ने सदन में ये बताया कि गिर के जंगल में पिछले दो साल में 283 शेरों की मौत हुई है. सरकार के मुताबिक इनमें से 29 की मौत दुर्घटना की वजह से हुई.
गुजरात सरकार ने विधानसभा में बताया कि पिछले दो साल में 254 शेरों की स्वाभाविक कारणों से मौत हुई है. इनमें 68 शेर, 73 शेरनियां और 142 शावक हैं. गिर के जंगल में शेर के साथ ही बड़ी तादाद में तेंदुए भी हैं. सरकार की ओर से विधानसभा में ये भी जानकारी दी गई है कि पिछले दो साल में 242 तेंदुओं की भी मौत हुई है. सरकार की ओर से विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक 242 तेंदुओं के अलावा उनके 91 बच्चों की भी मौत हुई है.
गिर के जंगल में जिन शेर की मौत हादसों से हुई है, उनमें अधिकतर हादसे कुएं में गिर जाने या फिर ट्रेन की चपेट में आ जाने से संबंधित हैं. गौरतलब है कि कोरोना वायरस की महामारी के कारण गिर के जंगल सैलानियों के लिए बंद थे. बता दें कि 2020 में हुई शेर की गणना के मुताबिक गिर के जंगल में 674 शेर थे.
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