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महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर यूपी सरकार ने उठाया बड़ा कदम

Nilmani Pal
23 Sep 2022 10:32 AM GMT
महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर यूपी सरकार ने उठाया बड़ा कदम
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सोर्स फोटो पीटीआई , न्यूज़  - आज तक 

यूपी। उत्तर प्रदेश सरकार ने महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर बड़ा कदम उठाया है. यूपी में अब महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध के मामलों में आरोपियों को अब अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी. इसके लिए सरकार ने दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन कर दिया है. यूपी विधानसभा से मॉनसून सत्र के अंतिम दिन दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक 2022 पारित हो गया.

दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक 2022 के पारित हो जाने के बाद अब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी. CRPC में बदलाव के जरिये महिलाओं के खिलाफ होने वाले घृणित और गंभीर अपराध के मामलों में अग्रिम जमानत के प्रावधान को खत्म कर दिया जाएगा. हालांकि इस पर गेंद अभी केंद्र सरकार के पाले में होगी क्योंकि इसके लिए गृह मंत्रालय की मंजूरी जरूरी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर ये विधेयक 22 सितंबर को यूपी विधानसभा में पेश किया गया था जब विधानसभा में महिलाओं को समर्पित विशेष दिन तय कर सदन में महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर चर्चा हवो रही थी. जानकारी के अनुसार इस बिल में संशोधन के बाद ये प्रावधान होगा कि महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध जैसे रेप, गैंगरेप, यौन दुराचार के आरोपी को अग्रिम जमानत न मिले.

इसके साथ ही बच्चों के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए POCSO एक्ट लगने पर भी अग्रिम जमानत का प्रावधान खत्म कर दिया जाएगा. इसके लिए CRPC की धारा 438 में संशोधन का प्रस्ताव इस बिल में किया गया है. इसके बाद महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले इन अपराधों में आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिल पाएगी. इस संशोधन विधेयक में code of criminal procedure की धारा 438 में बदलाव के साथ ही POCSO एक्ट और 376, 376-A, 376 -AB, 376 -B, 376-C, 376-D,376-DA, 376-DB, 386-E की धाराओं में आरोपी को अग्रिम जमानत (anticipatory bail) नहीं मिल सकेगी. न सिर्फ रे और गैंगरेप बल्कि यौन अपराध, बदसलूकी और यौन अपशब्द के मामलों में भी अग्रिम जमानत नहीं होगी.

संशोधन विधेयक को प्रस्तावित करते हुए सरकार की ओर से ये स्पष्ट किया गया कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध में जीरो टॉलरेंस पॉलिसी के तहत ऐसा किया गया है. इससे आरोपी किसी तरह साक्ष्यों को प्रभावित या नष्ट नहीं कर सकेगा. गवाहों और पीड़ित को धमकाने, साक्ष्यों को प्रभावित करने से आरोपियों को रोकने के लिए ये संशोधन मील का पत्थर साबित हो सकता है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की ओर से इस विधेयक में कुछ संशोधन का सुझाव दिया गया लेकिन ये विधेयक विधानसभा से ध्वनिमत से पारित हो गया. सीआरपीसी संशोधन विधेयक 2022 को अब उच्च सदन यानी विधान परिषद से भी पारित कराना होगा. यूपी विधानसभा के दोनों सदनों से पारित होने के बाद इस विधेयक को केंद्र सरकार को भेजना होगा.


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