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यूपी सरकार ने सभी विभागों से मांगी ओबीसी कैटेगरी की उपजातियों का भी विवरण

Nilmani Pal
25 Aug 2022 2:03 AM GMT
यूपी सरकार ने सभी विभागों से मांगी ओबीसी कैटेगरी की उपजातियों का भी विवरण
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यूपी। उत्तर प्रदेश में ओबीसी कोटे से किस जाति को कितनी नौकरी मिली है? योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने इसकी रिपोर्ट तलब की है. सरकार ने हर विभाग से पिछले 10 साल का आंकड़ा मांगा है जिसे लेकर विभागों ने तैयारी शुरू कर दी है. कहा जा रहा है कि ये आंकड़े इसलिए तलब किए गए हैं जिससे ये पता लगाया जा सके कि पिछले 10 साल में, यानी 2010 से 2020 के बीच ओबीसी कोटे से जो भी नियुक्तियां हुईं, उनमें कौन-कौन सी जातियों को कितनी नौकरी मिली.

जानकारी के मुताबिक सरकार ने सभी विभागों से ओबीसी कैटेगरी की उपजातियों का भी विवरण मांगा है. मंगलवार को सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो के निदेशक की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसका प्रारूप सामने रखा गया जिसमें उत्तर प्रदेश में पिछले 10 साल में दी गई नौकरियों में ओबीसी उपजातियों का विवरण मांगा गया है. सभी 83 विभाग ये आंकड़ा सरकार को देंगे और इसके लिए हर विभाग के अपर मुख्य सचिव को सूचना जारी की जा चुकी है.

दूसरी तरफ योगी सरकार के इस कदम के सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं. माना जा रहा है कि योगी सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी वर्ग और इसके अंतर्गत आने वाली उपजातियों को पिछले 10 साल में दी गई नौकरियों का आंकड़ा इसलिए इकठ्ठा कर रही है, जिससे नियुक्तियों को लेकर तस्वीर साफ होगी और इसे बीजेपी लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश कर सकती है. इसमें खास बात यह है कि सरकार की तरफ से जो आंकड़े मांगे गए हैं, उसमें ये भी पूछा गया है कि कुल कितने पद स्वीकृत किए गए हैं, कितने पद भरे गए हैं. ओबीसी के लिए कितने पद निर्धारित थे. ओबीसी वर्ग से कितने पद भरे गए. सामान्य वर्ग में कितने ओबीसी चयनित हुए. भर्ती में कितने ओबीसी चयनित हुए. ओबीसी कोटा पूरा हुआ या नहीं, समूह ग से ख तक ओबीसी उपजातियों के लिहाज से कर्मचारियों की संख्या कितनी है और कितने कार्मिक ओबीसी वर्ग के उपजाति से हैं.

सियासत के चलते योगी सरकार के इस कदम को 2024 के लोकसभा उपचुनाव की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है. साथ ही इसे सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट से भी जोड़कर देखा जा रहा है जिसे सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और मौजूदा सरकार में मंत्री संजय निषाद भी उठाते रहे हैं. राजभर ने इस कदम का स्वागत करते हुए इसे अपनी लड़ाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी बताया है. दूसरी तरफ यूपी सरकार ने जस्टिस राघवेंद्र की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट 2021 में शासन को सौंप दी थी. कमेटी ने ओबीसी को तीन वर्गों में बांटने की सिफारिश की थी. रिपोर्ट में ओबीसी को पिछड़ा, अति पिछड़ा और सबसे पिछड़ा में बांटने की सिफारिश करते हुए कहा गया था कि आरक्षण का लाभ कुछ ही जातियों के बीच सिमट कर रह गया है.

गौर करने वाली बात है कि उत्तर प्रदेश में OBC के तहत 234 जातियां आती हैं. उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग सामाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को इनके लिए तीन भागों पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा में बांटने की सिफारिश की है. पिछड़े वर्ग में सबसे कम जातियों जिसमें यादव, कुर्मी जैसी संपन्न जातियां हैं. अति पिछड़ा वर्ग में वे जातियां हैं जो कृषक या दस्तकार हैं और सर्वाधिक पिछड़े में जो पूरी तरह से भूमिहीन, गैरदस्तकार और श्रमिक हैं.


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