यूपी चुनाव: 27 फरवरी को होगा 5वें चरण का मतदान, 48 विधायक फिर से हैं चुनावी मैदान में
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यूपी। उत्तर प्रदेश में चार चरण का चुनाव खत्म हो चुका है और अब बारी पांचवें चरण में अवध और पूर्वांचल की है. यूपी के सात चरणों के चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें इसी चरण में है. पांचवें चरण के 12 जिलों की 61 विधानसभा सीटों पर 27 फरवरी को वोटिंग होनी है, जहां पर 692 उम्मीदवार किस्मत आजमाने उतरे हैं. पांचवें चरण में भगवान श्रीराम के अयोध्या से लेकर प्रयागराज और चित्रकूट जैसे धार्मिक नगरी में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सियासी संग्राम होने हैं. बीजेपी के लिए अपने दुर्ग को बचाए रखने की चुनौती है तो सपा, बसपा और कांग्रेस सत्ता की वापसी दारोमदार इसी चरण में टिका है. सूबे के बदले हुए सियासी समीकरणों में बीजेपी के सामने पिछली बार की तरह नतीजे दोहराना आसान नहीं दिख रहा है तो सपा गठबंधन के लिए भी चुनौतियां कम नहीं है. ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के सामने अमेठी-रायबरेली में है. अमेठी में राहुल गांधी को 2019 में हार का मूंह देखना पड़ा था. ऐसे में कांग्रेस हरहाल में अमेठी में वापसी करना चाहती है. बसपा भी इस चरण में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बेताब है.
यूपी के पांचवें चरण में अयोध्या के साथ-साथ गांधी परिवार का गढ़ रहे अमेठी जिले की सीटों पर सियासी दलों की परीक्षा होनी है तो रायबरेली जिले की भी एक सीट भी इसी चरण में है. सुल्तानपुर, अयोध्या, अमेठी, बाराबंकी जैसे अवध के जिले हैं तो पूर्वांचल के तराई बेल्ट के तहत आने वाले बहराइच, गोंडा और श्रावस्ती जैसे अहम जिले की सीटें है. इसके अलावा प्रतापगढ़ प्रयागराज, कौशंबी जिलों की सीटों के साथ-साथ बुंदलेखंड के चित्रकूट जिले की भी दो सीटें शामिल हैं.
बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया
पांचवें चरण की जिन 61 विधानसभा सीटों पर चुनाव पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें 90 फीसदी सीटों पर बीजेपी और अपना दल गठबंधन का कब्जा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 60 सीटों में से 51 सीटें बीजेपी ने जीती थी जबकि उसके सहयोगी अपना दल (एस) को दो सीटें मिली थी. वहीं, सपा के खाते में महज 5 सीटें मिली थी. इसके अलावा कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी और दो सीटों पर निर्दलीय ने जीती थी. बसपा इस चरण में खाता भी नहीं खोल सकी थी.
योगी सरकार के आधा दर्जन मंत्री
यूपी के इस चरण के चुनाव में योगी सरकार के कई दिग्गज मंत्रियों की भी अग्निपरीक्षा है. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह पट्टी सीट से उतरे हैं. कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, इलाहबाद पश्चिम से प्रत्याशी हैं तो नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी इलाहाबाद दक्षिण, समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री मनकापुर सुरक्षित सीट से और राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय चित्रकूट सदर से चुनाव लड़ रहे हैं. योगी सरकार के मंत्री रहे मुकुट बिहारी की जगह उनके बेटे चुनावी मैदान में हैं.
राजा भैया की अग्निपरीक्षा होगी
प्रतापगढ़ की सियासत के बेताज बादशाह कहे जाने वाले कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया इस बार अपनी जनसत्ता पार्टी से चुनावी मैदान में उतरे हैं. राजा भैया और बगल की बाबागंज सुरक्षित सीट से विनोद सरोज भी जनसत्ता दल से चुनाव लड़ रहे हैं. राजा भैया के खिलाफ डेढ़ दशक के बाद सपा ने अपना उम्मीदवार उतारा है. कुंडा सीट पर सपा से गुलशन यादव चुनावी मैदान हैं.
सपा-कांग्रेस के दिग्गज ठोंक रहे ताल
पांचवें चरण में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ सदर और बहन पल्लवी पटेल सिराथू सीट से चुनावी मैदान में उतरी है. मां और बहन दोनों ही सपा गठबंधन से चुनाव लड़ रही हैं जबकि अनुप्रिया पटेल बीजेपी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में है. अयोध्या सीट पर सपा के दिग्गज नेता तेजनारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय की किस्मत दांव पर लगी है तो रामपुर खास सीट पर कांग्रेस से आराधना मिश्रा हैं, जो प्रमोद तिवारी की बेटी हैं और दो बार से विधायक हैं.
बहराइच की दो सीटों पर पति-पत्नी चुनाव लड़ रहे हैं और दोनों एक ही पार्टी से हैं. ऐसे में दोनों जीतेंगे तो एक ही घर से दो विधायक होंगे. बहराइच की मटेरा सीट से सपा ने अपने विधायक यासिर शाह की पत्नी मारिया शाह को उतारा है, पिछली बार इसी सीट से जीते यासिर शाह बहराइच सदर से चुनाव लड़ रहे हैं.
इस पांचवें चरण में 61 सीटों पर विभिन्न दलों के 48 मौजूदा विधायक मैदान में फिर से हैं जबकि बाकी 13 सीट पर टिकट काट दिए गए हैं. ऐसे में वो खुद के बजाए दूसरों के लिए प्रचार में लगाए गए हैं. वहीं, कई दलबदलू नेता भी चुनावी मैदान में उतरे हैं. हंडिया से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हाकिम लाल असल 2017 में बसपा विधायक बने थे. हाकिम सिंह ने चुनाव से पहले पाला बदल लिया. इसी तरह बसपा में रहते हुए भिन्गा से पिछली बार जीते असलम राईनी इस बार सपा में आकर श्रावस्ती से प्रत्याशी हो गए.
पांचवें चरण की तीन सीटों पर विधायक का मुकाबला विधायक से हैं. फूलपुर सीट पर बीजेपी के विधायक प्रवीण सिंह पटेल हैं तो उनके सामने बसपा से सपा में आए विधायक मुजतबा सिद्धीकी ताल ठोंक रहे हैं. वह प्रतापपुर से पिछली बार जीते थे। बहराइच सदर से भाजपा विधायक अनुपमा जयसवाल और सपा विधायक यासर शाह आमने सामने हैं. ये दोनों मंत्री भी रह चुके हैं. प्रतापगढ़ की रानीगंज सीट पर बीजेपी के धीरेंद्र ओझा विधायक हैं और वो एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतरे हैं, जिनके सामने सपा ने आरके वर्मा को उतारा है. वर्मा 2017 में विश्वनाथगंज सीट से अपना दल (एस) के टिकट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन सपा का दामन थामकर रानीगंज सीट से चुनावी मैदान में कूद गए हैं.
तिलोई, सलोन (सु) जगदीशपुर (सु)., गौरीगंज, अमेठी, इसौली, सुल्तानपुर, सदर, लम्भुआ, कादीपुर (सु), चित्रकूट, मानिकपुर, रामपुर खास, बाबागंज (सु)., कुण्डा, विश्वनाथगंज, प्रतापगढ़, पट्टी, रानीगंज, सिराथू, मंझनपुर (सु)., चायल, फाफामऊ, सोरांव (सु)., फूलपुर, प्रतापपुर, हण्डिया, मेजा, करछना, इलाहाबाद पश्चिम, इलाहाबाद उत्तर, इलाहाबाद दक्षिण, बारा (सु)., कोरांव (सु)., कुर्सी, रामनगर, बाराबंकी, जैदपुर (सु)., दरियाबाद, रूदौली, हैदरगढ़ (सु)., मिल्कीपुर (सु)., बीकापुर, अयोध्या, गोसाईगंज, बलहा (सु)., नानपारा, मटेरा, महसी, बहराइच,पयागपुर, कैसरगंज, भिंगा, श्रावस्ती, मेहनौन, गोण्डा, कटरा बाजार, कर्नलगंज, तरबगंज, मनकापुर (सु) और गौरा सीट शामिल है.