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यूपी कांग्रेस ने परमवीर चक्र से सम्मानित वीर अब्दुल हमीद की शहादत दिवस पर किया नमन

Nilmani Pal
10 Sep 2021 8:09 AM GMT
यूपी कांग्रेस ने परमवीर चक्र से सम्मानित वीर अब्दुल हमीद की शहादत दिवस पर किया नमन
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यूपी कांग्रेस ने परमवीर चक्र से सम्मानित वीर अब्दुल हमीद की शहादत दिवस पर नमन किया किया है. आपको बता दें कि 1965 में भारत और पाकिस्‍तान के बीच हुई जंग में कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद मसऊदी देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्‍च बलिदान देकर वीरगति को प्राप्‍त हो जाते हैं. 10 सितंबर 1965 को शहीद होने वाले अब्‍दुल हमीद की शहादत साधारण नहीं थी, असल उत्ताड़ गांव में 8 और 9 सितंबर का दिन पूरी तरह से उनके नाम रहा था. अब्‍दुल हमीद ही वो जांबाज सिपाही थे, जिन्‍होंने अपनी रिक्‍वायललेस गन से अजेय कहे जाने वाले अमेरिकी पैटन टैंकों को खाक में मिला दिया था. अब्‍दुल हमीद की बहादुरी से पाकिस्‍तानी सेना इस तरह घबराई कि वह एक बार नहीं, बल्कि दो युद्ध के मैदान को छोड़कर भाग खड़ी हुई.

हर बार पाकिस्‍तानी सेना नई रणनीति और बढ़ी हुई संख्‍या के साथ रण में आते और मुंह की खा कर लौट जाते. लेकिन, 10 सितंबर 1965 का दिन जांबाज अब्‍दुल हमीद पर भारी था. वे अपने चंद सिपाहियों और साधारण से हथियारों के साथ दुश्‍मन सेना की पूरी रेजिमेंट और पैटन टैंकों का सामना कर रहे थे. समय के साथ, उनका और दुश्‍मन सेना के बीच का फासला कम होता जा रहा था. दूसरी तरह, लगातार हो रही आर्टलरी फायर और पैटन टैंकों के मुंह से निकल रहे गोलों ने चारों तरफ आग बरसा रखी थी. जिस खेत से वे दुश्‍मन सेना के टैंकों ध्‍वस्‍त कर रहे थे, अब वह भी पूरी तरह आग की चपेट में आ गया था.

बावजूद इसके, अब्‍दुल हमीद ने 9 सितंबर 1965 को दुश्‍मन सेना के 4 पैटन टैंकों को अपनी रिक्‍वायललेस गन से ध्‍वस्‍त कर‍ दिया था. जांबाज अब्‍दुल हमीद का यह यश उसी दिन यानी 9 सितंबर 1965 को ही थल सेना के मुख्‍यालय पहुंच गया था. थल सेना की तरफ से अब्‍दुल हमीद को प्रशस्ति पत्र जारी किया गया, जिसमें 4 पैटन टैंकों को ध्‍वस्‍त करने का जिक्र भी किया गया है. हालांकि, एनसीईआरटी की वीरगाथा में सेना के कुछ अधिकारियों के हवाले से यह जिक्र किया गया है कि 9 सितंबर के चार और 10 सितंबर को अब्‍दुल हमीद ने 3 पैटन टैंको को ध्‍यवस्‍त किया था. जिसका जिक्र प्रशस्ति पत्र में नहीं हो पाया था. वीर अब्‍दुल हमीद 10 सितंबर 1965 को दुश्‍मनों का सामना करते हुए शहीद हो गए थे.


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