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संयुक्त किसान मोर्चा सरकार से बातचीत को तैयार, नहीं बनी बात तो निकालेंगे ट्रैक्टर मार्च

Deepa Sahu
26 Dec 2020 6:29 PM GMT
संयुक्त किसान मोर्चा सरकार से बातचीत को तैयार, नहीं बनी बात तो निकालेंगे ट्रैक्टर मार्च
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संयुक्त किसान मोर्चा सरकार से बातचीत को तैयार, नहीं बनी बात तो निकालेंगे ट्रैक्टर मार्च

संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के साथ दुबारा वार्ता राजी हो गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के साथ दुबारा वार्ता राजी हो गया है। मोर्चा ने केंद्र सरकार से 29 दिसंबर को 11 बजे बातचीत करने का प्रस्ताव भेजा है। किसान संगठनों ने सरकार के सामने अपनी तरफ से बातचीत के लिए चार प्वाइंट का एजेंडा रखा है। इसमें तीनों कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया, एमएसपी को कानूनी जामा पहनाना, वायु गुणवत्ता आयोग के अध्यादेश में संशोधन व विद्युत संशोधन विधेयक में बदलाव पर बातचीत करने का प्रस्ताव है। 40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से एक पत्र केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल को शनिवार दोहपर बाद भेज भी दिया गया है।

केंद्र सरकार की तरफ से किसान संगठनों को बीते दिनों भेजे गए प्रस्ताव के जवाब में किसान संगठनों का कहा है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। किसानों ने हर वार्ता में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की गई है। जबकि सरकार इसे तोड़ मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी। मोर्चा ने कहा है कि सरकार अपने पूरे तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करे।
किसान मोर्चा ने अपने पत्र में आगे कहा है कि बावजूद इसके सरकार किसानों की सुविधा के समय और किसानों द्वारा चुने मुद्दों पर वार्ता करने को तैयार होने की बात कह रही है। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सभी संगठन भी इसके लिए तैयार हैं। मोर्चा ने प्रस्ताव दिया है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए। खास बात यह कि इस बार किसान मोर्चा ने पहले से अपना एजेंडा भी सरकार को भेज दिया है। साथ ही दावा किया है कि किसान संगठन खुले मन से वार्ता करने के लिए हमेशा तैयार हैं।
किसान मोर्चा ने सरकार को बताया बातचीत का एजेंडा
. तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि।
. सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान।
. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन, जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं।
. किसानों के हितों की रक्षा के लिए %विद्युत संशोधन विधेयक 2020% के मसौदे में जरूरी बदलाव।
वार्ता विफल होने पर किसान करेंगे ट्रैक्टर मार्च
केंद्र सरकार के वार्ता का प्रस्ताव स्वीकार करने के साथ किसान संगठनों ने सरकार पर दबाव बढ़ाने की योजना भी तैयार की है। 29 मार्च की वार्ता कामयाब न होने की सूरत में किसान संगठन 30 मार्च को सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर व शाहजहांपुर बॉर्डर के बीच ट्रैक्टर मार्च करेंगे। इसके लिए किसान संगठन केएमपी का सहारा लेंगे।
इसके साथ ही दिल्ली व हरियाणा के लोगों से अपील की है कि वह नया साल सिंघु बॉर्डर पर मनाएं। दूसरी तरफ रविवार को प्रधानमंत्री की मन की बात का विरोध करने के लिए थाली बजाने का एलान भी किसानों ने किया है।
सिंघु बॉर्डर पर बीते दो दिनों से किसान संगठनों के बीच वार्ता का क्रम जारी रहा। शुक्रवार को पंजाब के संगठनों की आपस में बातचीत करने के बाद शनिवार दोपहर बाद को राष्ट्रीय स्तर के संगठनों से बातचीत हुई। इसमें वार्ता का प्रस्ताव स्वीकार करने के साथ भविष्य की आंदोलन की रणनीति भी तय की गई।

हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर शाहजहांपुर बार्डर से आंदोलन को आगे बढ़ा योगेंद्र यादव ने बताया कि केंद्र सरकार के साथ इस बार वार्ता सफल नहीं होती तो 30 मार्च को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। कोंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे से होकर ट्रैक्टर सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर व शाहजहांपुर बॉर्डर के बीच दोपहर 12 बजे से मार्च करेंगे।
वहीं, किसान नेता दर्शन पाल ने बताया कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन स्थलों पर 27 और 28 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंह के बेटे का शहीदी दिवस मनाया जाएगा। वहीं, 30 को ट्रैक्टर मार्च होगा। उन्होंने दिल्ली व हरियाणा के लोगों से अपील की नया वर्ष वह सिंघु बॉर्डर पर मनाएं। इस दौरान किसानों के साथ लंगर से प्रसाद भी लेकर जाएं। इससे किसानों की समस्याओं का समझने में मदद मिलेगी और नया साल भी अन्नदाताओं के बीच गुजरेगा।


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