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अनूठी परंपरा: होली के दिन अनोखी बारात, बिना दुल्हन के विदा, पढ़ें स्पेशल खबर

jantaserishta.com
27 March 2024 6:19 AM GMT
अनूठी परंपरा: होली के दिन अनोखी बारात, बिना दुल्हन के विदा, पढ़ें स्पेशल खबर
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सांकेतिक तस्वीर

बारात बिना दुल्हन के बैरंग वापस हुई।
लखीमपुर खीरी: यूपी के लखीमपुर खीरी में यह कहानी दिलचस्प है। ईसानगर के नरगड़ा गांव में होली के दिन अनोखी रस्म निभाई गई। सोमवार को 40वीं बार दूल्हा बारात लेकर निकला। गाजे-बाजे के साथ दुल्हन के दरवाजे पहुंचे। बारात का स्वागत सत्कार हुआ। फेरे की रस्में हुईं और विदाई भी। पर हर साल की तरह 40वीं बार बारात बिना दुल्हन के बैरंग वापस हुई।
होली का दिन रंगों से सराबोर बारातियों का जत्था ट्रैक्कर पर सवार दूल्हे के साथ गांव के बीच निकला। बारात में करीब करीब पूरा गांव शामिल है। बारात दुल्हन के दरवाजे पर पहुंची। बारातियों का स्वागत हुआ। परम्परानुसार बारातियों को जलपान कराकर जनवासे में ठहरा दिया गया। बारात में शामिल लोगों के पांव भी पखारे गए। उधर वधु पक्ष की महिलाओं ने घर में मंगलगीत गाये। द्वारपूजन के बाद विवाह की रस्में निभाई गईं। बारात और दूल्हे के साथ वे सारी रस्में निभाई हुईं। लेकिन दूल्हे को नहीं मिलती तो बस दुल्हन। बात हो रही है कि ईसानगर के मजरा नरगड़ा में निकाली जाने वाली बारात की। इस बारात की खासियत यह है कि इसमें एक ही परिवार के सदस्य सैकड़ों वर्षो से दूल्हा बनते आए हैं। होली के दिन पूरा गांव दूल्हे के साथ नाचते गाते रंग से सराबोर होकर दूल्हे के साथ बरात लेकर पहुंचते हैं। सारी रस्में शादी बरात वाली ही होती है।
पुरानी परम्परा के अनुसार आज भी हम लोग भी इस प्रथा को निभा रहे है। यह भी परम्परा है कि बारात को बिना दुल्हन के विदा किया जाता है। इस परंपरा में गांव के विश्वम्भर दयाल मिश्रा 40वीं बार दूल्हा बने। विश्वम्भर की ससुराल गांव में ही है। होली के पहले उनकी पत्नी मोहिनी को कुछ दिन पहले मायके बुला लिया जाता है। शादी के स्वांग के बाद जब बारात विदा होकर आ जाती है। तब उसके कुछ दिन बाद मोहिनी को ससुराल भेज दिया जाता है। यह अनोखी शादी देखने और बारात में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। सैकड़ों सालों से चली आ रही यह परंपरा आज भी लोक संस्कृतियों की यादें समेटे हुए है।
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