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महिलाओं के लिए भोपाल (Bhopal) से सटे फंदा कला गांव में एक अनूठी दौड़ देखने को मिली (Unique Race for Women). इस दौड़ में वे बुजुर्ग सास हाथ में पानी से भरा लोटा लेकर 100 मीटर तक दौड़ीं, जिनकी बहुएं खुले में शौच करने जाती हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- घर में शौचालय है, फिर भी बहुएं शौच के लिए बाहर जा रहीं. पंचायतें खुले में शौच (ओडीएफ) से मुक्त हो चुकी हैं, फिर भी कुछ महिलाएं बाहर शौच करना बंद नहीं कर रही हैं. ऐसी महिलाओं के लिए भोपाल (Bhopal) से सटे फंदा कला गांव में एक अनूठी दौड़ देखने को मिली (Unique Race for Women). इस दौड़ में वे बुजुर्ग सास हाथ में पानी से भरा लोटा लेकर 100 मीटर तक दौड़ीं, जिनकी बहुएं खुले में शौच करने जाती हैं.
स्वच्छता का संदेश देने के लिए जिला प्रशासन ने पहली बार यह अनूठा प्रयोग किया है. इस दौड़ में विजेता वो रहा जिसके लोटे से कम पानी गिरा होगा. इस दौड़ की सबसे अच्छी बात ये है कि विनिंग प्वाइंट पर पहुंचने के बाद सासों ने लोटा फेंक दिया. विजेता को उनकी बहू ने ही मैडल पहनाया.
ODF घोषित हो चुके गांवों में खुले में शौच जाने पर जागृति लाना था मकसद
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य जो गांव ओडीएफ घोषित हो चुके हैं, उन गांवों में खुले में शौच जाने पर जागृति लाना था. दौड़ का आयोजन तीन राउंड में किया गया था. प्रथम राउंड में 10 सास दौड़ी, दूसरे राउंड में 10 फिर उनमें से 5 का चयन कर फाइनल राउंड में हुआ. फाइनल राउंड के आधार पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता का चयन किया गया.
सास-बहू के बीच की झिझक दूर करने के लिए आया दौड़ का आडिया
जिला पंचायत सीईओ विकास मिश्रा (Vikash Mishra) का कहना है कि इसका संदेश है कि हम जिंदगी भर लोटा लेकर शौच के लिए बाहर गए, लेकिन हमारी बहुएं अब से ऐसा न करें. सास-बहू के बीच की झिझक दूर करने और दोनों में संवाद कायम रखने के लिए इस दौड़ को कराने का आइडिया आया. सरपंच ने संपूर्ण गांव को स्वच्छता की शपथ दिलाई. गांव की महिलाओं ने भी बड़े उत्साह के साथ इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. वहीं सामाजिक संदेश देने वाली इस खास तरह की रेस की हर तरफ चर्चा हो रही है.
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