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सुप्रीम कोर्ट में हुआ अनोखा वाकया

jantaserishta.com
25 May 2022 4:39 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट में हुआ अनोखा वाकया
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नई दिल्ली: दस साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल चालित वाहनों के सड़कों पर चलने से रोक लगाने के आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता पर सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना लगाया है. जस्टिस एलएन राव, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने रजिस्ट्री से भी कहा कि किसी वकील से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता वकील अनुराग सक्सेना से कहा कि ये याचिका तुच्छ है. कोर्ट ने अनुराग सक्सेना से कहा कि नए वाहनों से भी कार्बन उत्सर्जन का खतरा बना हुआ है. ऐसे में पुराने वाहन तो और खतरनाक हैं. इस मामले में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण और सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी हैं. आपने कार्बन फुटप्रिंट के बढ़ते खतरनाक असर से पर्यावरण को खतरे के बारे में एनजीटी की चिंता और आदेश भी देखे हैं. फिर भी आपकी ये याचिका आना दुर्भाग्यपूर्ण है. हम आठ लाख रुपये का दंड लगा रहे हैं.
याचिका में कहा गया कि दिल्ली में इन वाहनों पर पाबंदी लगाना संविधान के अनुच्छेद 14 में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. इस मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता वकील अनुराग सक्सेना ने कोर्ट से आठ मिनट देने का आग्रह किया जिसमे वो अपनी बात सिद्ध कर देंगे.
बेंच ने उनकी बात मानते हुए शर्त रखी कि अगर वो अपनी दलीलों से अदालत को कायल नहीं कर पाए तो अदालत हर मिनट के लिए एक लाख रुपये के हिसाब से जुर्माना लगा देगी. पीठ के याचिका खारिज करने का आदेश पारित करने के बाद भी वकील अनुराग सक्सेना ने बहस जारी रखी. इसके बाद पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हम याचिका खारिज करते समय आठ लाख रुपये का जुर्माना बहुत अच्छी तरह से लगा सकते हैं.
क्योंकि इसका साफ संकेत हमने सुनवाई की शुरुआत में ही दे दिया था. हालांकि, हम किसी के लिए भी कठोर होना नहीं चाहते जो सौभाग्य या दुर्भाग्य से वकील हैं, इसलिए हम इस मामले पर नरम रुख अपनाने के इच्छुक हैं.
पीठ ने मामले को बंद करने से पहले याचिकाकर्ताओं को यह भी चेतावनी दी कि अगर वह आगे से इस तरह के दुस्साहस करेंगे तो अदालत को मामले पर कड़ा रुख अपनाना होगा. फिर पीठ ने पचास हजार रुपये जुर्माना लगाकर छोड़ दिया. कोर्ट ने आदेश में कहा कि जुर्माने की रकम सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमिटी के पास दो हफ्ते में जमा करानी पड़ेगी.
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