केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिल्ली के आनंद विहार इलाके में स्थापित स्माग टावर का किया लोकार्पण
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिल्ली के आनंद विहार इलाके में स्थापित स्माग टावर का लोकार्पण किया। कुछ ही दिन पूर्व दिल्ली के कनॉट प्लेस इलाके में दिल्ली का पहला स्मॉग टावर स्थापित किया गया था। कुछ ही दिनों के बाद यह दूसरा टावर भी दिल्ली में शुरू हो गया है। पर्यावरण मंत्रालय का दावा है कि यह देश का पहला क्रियाशील स्मॉग टावर है। नीले आकाश के लिए स्वच्छ वायु के दूसरे अंतरराष्ट्रीय दिवस को मनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में यादव ने नागरिकों सहित सभी हितधारकों से सभी के लिए स्वच्छ हवा और स्वस्थ जीवन प्राप्त करने के लिए गंभीरतापूर्वक और ईमानदारी से योगदान देने का आह्वान किया है।
यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने पूरे देश में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कई पहल शुरु की हैं। उन्होंने कहा कि स्वयं प्रधानमंत्री जी ने 100 से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता में समग्र सुधार का लक्ष्य निर्धारित किया है। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि 2018 की तुलना में 2019 में और 86 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहतर हुई है। अब ऐसे शहरों की संख्या 2020 में बढ़कर 104 शहरों तक पहुंच गई है। आनंद विहार में 20 मीटर से अधिक की ऊंचाई वाला स्मॉग टॉवर डाउन ड्राफ्ट प्रकार का है, यानी प्रदूषित हवा टॉवर के ऊपर से आती है और नीचे से साफ हवा बाहर आती है जिसका उद्देश्य स्थानीय स्तर पर वायु प्रदूषण (पार्टिकुलेट मैटर) में कमी करना है। टावर में उपयोग की जाने वाली निस्पंदन प्रणाली को मिनेसोटा विश्वविद्यालय द्वारा 90 प्रतिशत की अपेक्षित दक्षता के साथ डिजाइन किया गया है। 1000 घन मीटर प्रति सेकंड की दर से डिजाइन एयरफ्लो प्रदान करने के लिए 40 पंखों की इकाइयां स्थापित की गई हैं। टावर का निर्माण परियोजना प्रबंधन सलाहकार के रूप में एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के साथ टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया गया है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के अंतर्गत गैर-प्राप्ति शहरों में वायु प्रदूषण के नियमन के लिए 'प्रण' नामक एक पोर्टल का शुभारंभ भी किया गया।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) 2019 से देश में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) को लागू कर रहे हैं, जिसमें 2024 तक देश भर में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 10 और पीएम 2.5) सांद्रता में 20 से 30 प्रतिशत की कमी हासिल करने का लक्ष्य है।