केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी की फिर बढ़ सकती हैं मुश्किलें, हत्याकांड में चल रही सुनवाई
यूपी। यूपी के लखीमपुर में किसानों को रौंदने की घटना के बाद विवादों में आए केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी की मुश्किलें फिर बढ़ सकती हैं. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में 22 साल पुराने प्रभात गुप्ता हत्याकांड में सुनवाई चल रही है. 16 मई को कोर्ट अंतिम दौर की सुनवाई पूरी करेगा. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस केस में कोर्ट का फैसला आ सकता है.
बता दें कि प्रभात गुप्ता मर्डर केस में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा समेत चार लोग नामजद किए गए थे. 4 साल पहले इस केस में हाई कोर्ट ने ऑर्डर सुरक्षित रख लिया था. अब एक बार फिर इस केस में फैसले की घड़ी आ सकती है. लखीमपुर के प्रभात गुप्ता मर्डर केस में 16 मई को हाई कोर्ट अंतिम दौर की सुनवाई करेगा. बता दें कि इससे पहले अक्टूबर 2021 में लखीमपुर में किसानों को रौंदने की घटना में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के आरोपी बेटे आशीष मिश्रा जेल में हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आशीष को दोबारा जेल जाना पड़ा है. बेटे के जेल जाने के बाद अब मंत्री पिता की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
मामला 8 जुलाई 2000 का है. लखीमपुर के तिकुनिया थाना क्षेत्र के बनवीरपुर गांव में प्रभात गुप्ता की हत्या कर दी गई थी. मामले में प्रभात के पिता संतोष गुप्ता ने अजय मिश्रा टेनी के साथ शशि भूषण, राकेश डालू और सुभाष मामा को हत्या में नामजद आरोपी बनाया था. आरोप लगाया था कि प्रभात गुप्ता को दिन दहाड़े बीच रास्ते में पहली गोली अजय मिश्रा ने कनपटी पर मारी और दूसरी गोली सुभाष मामा ने सीने में मारी थी, जिसके बाद प्रभात की मौके पर ही मौत हो गई.
लखीमपुर के तिकुनिया थाने में क्राइम नंबर 41/ 2000 धारा 302 और 34 के तहत केस दर्ज हुआ. लेकिन एफआईआर दर्ज होने के कुछ ही दिन बाद केस बिना वादी की जानकारी के सीबीसीआईडी को ट्रांसफर कर दिया गया. प्रभात गुप्ता के परिवार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता से गुहार लगाई और 24 अक्टूबर 2000 को तत्कालीन सचिव मुख्यमंत्री आलोक रंजन ने केस की जांच सीबीसीआईडी से लेकर फिर लखीमपुर पुलिस को दे दी.
केस लखीमपुर पुलिस को दिया गया तो जांच अधिकारी ने हाथ खड़े कर दिए और एसपी को जांच किसी अन्य से कराने के लिए लिखित में प्रार्थना पत्र दे दिया. तब आईजी जोन लखनऊ ने विशेष टीम गठित कर विवेचना करवाई और 13 दिसंबर 2000 को केस में चार्जशीट लगा दी गई. इसी बीच, अजय मिश्रा समेत सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे ले लिया.
न्याय का इंतजार कर रहे पिता की मौत हो गई
कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई तो 5 जनवरी 2001 को हाई कोर्ट में जस्टिस डीके त्रिवेदी की बेंच ने अजय मिश्रा को मिले अरेस्ट स्टे को खारिज कर दिया. इस बीच, न्याय के इंतजार में प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता की मौत हो गई तो केस की पैरवी प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने शुरू की. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे खारिज होने के बाद भी लखीमपुर पुलिस ने अजय मिश्रा को गिरफ्तार नहीं किया.
अजय को दूसरे दिन ही सेशन कोर्ट से मिल गई थी जमानत
इस पर राजीव गुप्ता ने एक बार फिर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में गुहार लगाई, उसके बाद 10 मई 2001 को हाई कोर्ट में जस्टिस नसीमुद्दीन की बेंच ने अजय मिश्र को अरेस्ट करने का ऑर्डर दिया. हाई कोर्ट से गिरफ्तारी के आदेश हुए तो डेढ़ महीने बाद 25 जून 2001 को अजय मिश्रा ने एडीजे की कोर्ट में सरेंडर कर दिया, लेकिन 25 जून को सरेंडर करते ही एक डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर अजय मिश्रा को बीमार बताकर अस्पताल भेज दिया गया और अगले ही दिन 26 जून को सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई.