मॉनसून सत्र अब तक हंगामेदार रहा है. तीन दिन चली कार्यवाही में सबसे ज्यादा बवाल आज (22 जुलाई) मचा. गुरुवार को नौबत यहां तक आ पहुंच आई कि राज्यसभा में जब संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव पेगासस जासूसी कांड पर बयान दे रहे थे तो उनके हाथ से स्टेटमेंट का पेपर छीनकर टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने फाड़कर उपसभापति की तरफ उछाल दिया. इस पूरे घटनाक्रम पर सरकार विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने की तैयारी में है. वहीं, इस बवाल के बाद अब शांतनु सेन का बयान आया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सदन स्थगित होने के बाद राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया, जिसकी उन्होंने उपसभापति से शिकायत की है.
शांतनु सेन ने कहा कि सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद अचानक हरदीप पुरी ने मुझे खराब तरीके से बुलाया, लेकिन मैं फिर भी गया. इसके बाद उन्होंने मुझे धमकाया और गाली दी. वो मुझे मारने के लिए आगे बढ़े थे. वहां मेरा घेराव किया गया. भगवान का शुक्र है कि मेरे अन्य सहयोगियों ने इसे देखा और मुझे बचाया. यह सरासर दुर्भाग्यपूर्ण है.
वहीं, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि जो कुछ भी हाउस में हुआ है, उपसभापति देखेंगे और कार्यवाही करेंगे, लेकिन जो उसके बाद हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण है. आगे उन्होंने कहा कि हम यह क्यों मान लें कि ये पूरा मामला आईटी मंत्री के दायरे में है. यह अनुमान बेमानी है. इस पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को जवाब देना चाहिए, ये मामला संचार मंत्री से परे है. इधर, इस विवाद पर राज्यसभा सांसद और RJD नेता मनोज झा ने कहा कि मिनिस्टर के हाथ से कागज छीना गया था, फाड़ा नहीं गया, लेकिन इसके बाद एक वरिष्ठ मंत्री का जो व्यवहार था वो आज तक संसद में नहीं हुआ. सब स्तब्ध थे जिस तरह के शब्द मंत्री जी ने कहे.