केंद्रीय गृह मंत्रालय का राज्यों को निर्देश: भारतीय झंडा संहिता का सख़्ती से हो पालन
दिल्ली। गणतंत्र दिवस से पहले केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राष्ट्रीय ध्वज को उचित सम्मान दिलाने के लिए एडवाइजरी भेजी है. राज्यों से कहा गया है कि राष्ट्रीय झंडा संहिता, 2002 और राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाए.
क्या हैं केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देश?
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में यह भी सुनिश्चित कराने के लिए कहा गया है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर जनता द्वारा केवल और केवल कागज के बने झंडे का ही प्रयोग किया जाए. साथ ही समारोह पूरा होने पर झंडे को ना तो विकृत किया जाए और ना ही जमीन पर फेंका जाए. केंद्र के मुताबिक ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकांत में किया जाना चाहिए.
दिशा-निर्देशों की ज़रूरत क्यों पड़ी?
अपने पत्र में केंद्र ने लिखा है कि राष्ट्रीय ध्वज देश के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए उसे सम्मान की स्थिति मिलनी चाहिए. राष्ट्रीय ध्वज के लिए सार्वभौमिक लगाव, आदर और वफादारी होती है. हालांकि राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के मामले में कानूनों, अभ्यास और परंपराओं के बावजूद, इसे लेकर आम जनता के साथ- साथ सरकारी संगठनों और एजेंसियों में भी जागरूकता का अभाव देखा गया है. ऐसे में गृह मंत्रालय ने राज्यों से आग्रह किया है कि मीडिया के माध्यम से इसे लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाए. इससे पहले प्लास्टिक के झंडों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए केंद्र राज्यों को निर्देशित कर चुका है.