सोलन। नगर निगम सोलन की नवनिर्वाचित मेयर उषा शर्मा की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित जनरल हाऊस काफी हंगामेदार रहा। इस हाऊस में जहां पिछले लंबित मामलों को लेकर अच्छी-खासी डिबेट हुई, वहीं नए मदों पर भी चर्चा के दौरान खूब हंगामा हुआ। मुख्यत: यात्री निवास, रिटेंशन पॉलिसी, एंबुलेंस, अवैध निर्माण, ट्रेड लाइसेंस, रिकवरी, प्रधानमंत्री …
सोलन।
नगर निगम सोलन की नवनिर्वाचित मेयर उषा शर्मा की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित जनरल हाऊस काफी हंगामेदार रहा। इस हाऊस में जहां पिछले लंबित मामलों को लेकर अच्छी-खासी डिबेट हुई, वहीं नए मदों पर भी चर्चा के दौरान खूब हंगामा हुआ। मुख्यत: यात्री निवास, रिटेंशन पॉलिसी, एंबुलेंस, अवैध निर्माण, ट्रेड लाइसेंस, रिकवरी, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने मकानों, प्रॉपर्टी टैक्स, ट्रेड लाइसेंस, हिमाचल उत्सव आदि मुद्दों पर व्यापक चर्चा की गई।
बैठक में सर्वप्रथम यात्री निवास पर चर्चा हुई। वार्ड नंबर-1 से पार्षद मनीष सोपाल ने ऐतराज जताया कि पिछले अढाई वर्षों से इन मुद्दे पर चर्चा हो रही है, लेकिन अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है। उनके ऐतराज जताते ही पूर्व डिप्टी मेयर राजीव कौड़ा उनसे उलझ पड़े और तीखी बहस शुरू हो गई। इस दौरान निर्णय लिया गया कि डिफाल्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर उनसे बकाया राशि रिकवर की जाए। सदन में मुद्दा रखा गया कि नगर निगम सोलन में रेजिडेंस और फ्लैट्स पर अलग-अलग प्रतिशत के हिसाब से प्रॉपर्टी टैक्स वसूला जा रहा है। जबकि अन्य निगमों में दोनों तरह की प्रॉपर्टी के लिए एक तरह का ही टैक्स है। इस पर सदन ने सहमति जताई सोलन में भी एक ही प्रतिशत पर टैक्स वसूला जाए।
हाऊस में रिटेंशन पॉलिसी के मुद्दे पर भी पार्षद भडक़े। पार्षद मनीष सोपाल और सुषमा शर्मा ने कहा कि निगम एरिया में धड़ल्ले से बिना नक्शा पास कराए निर्माण कार्य हो रहे हैं। इस पर संबंधित एसडीओ अल्पना ने कहा कि उन्होंने इस जगह पर विजिट किया था, लेकिन बिल्डिंग कौन बना रहा है इसका पता नहीं चल पाया है। इस पर सदन में हंगामा हो गया और सभी पार्षदों ने एक स्वर में कहा कि अगर मालिक का पता नहीं है तो लेबर और ठेकेदार के विरूद्ध कार्रवाई अमल में लाई जाए। निगम आयुक्त जफर इकबाल ने सदन को बताया कि शहर में ट्रेड करने वाले छोटे और बड़े व्यवसायी नगर निगम के पास रजिस्टर्ड नहीं हैं। जबकि एक्ट के अनुसार यह होना चाहिए और देश के बड़े-बड़े निगमों में ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य है। इसके लिए हर ट्रेडर को एमसी में रजिस्ट्रेशन करवानी होगी और इसके लिए एक नॉमिनल सी फीस लगेगी। इससे शहर में हो रहे हर तरह के ट्रेड का रिकॉर्ड मेनटेन हो पाएगा, रेवेन्यू बढ़ेगा और डाटा भी तैयार होगा। इसके अतिरिक्त निगम की परिधि में शूटिंग करने वालों को भी परमिशन लेनी होगी और फीस अदा करनी होगी। इस पर सदन ने मुहर लगा दी और जल्द ही यह प्रैक्टिस शुरू हो जाएगी।
सदन में बताया गया कि पीएम आवास योजना के तहत बचे हुए फ्लैट के लिए जिन लोगों ने पैसे जमा करवाए थे, उनमें से तीन लोग ऐसे पाए गए हैं, जिनका नाम पहले बनाई गई 96 लोगों की लिस्ट में नहीं है और वह अन्य मापदंड भी पूरे नहीं करते हैं। इस पर एक बार फिर सदन गूंज उठा और सुषमा शर्मा, मनीष सोपाल सहित अन्य पार्षदों ने इसे धांधली करार दिया। सदन में मौजूद एसीएफ और निगम की ट्री आफिसर चंद्रिका शर्मा ने कई प्रस्ताव रखे, जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया। इनमें मुख्यत: घर बनाने या असुरक्षित पेड़ की परमिशन के साथ उस व्यक्ति से एक हजार रुपए की फीस ली जाएगी। पेड़ काटने की परमिशन देने पर उनसे अपनी निजी भूमि या सरकारी भूमि पर 30 पौधे लगाने के लिए कहा जाएगा अन्यथा उनसे 1500 रुपए वसूले जाएंगे। इसके अतिरिक्त पेड़ काटने के लिए निगम द्वारा अब फीस वसूली जाएगी जोकि पेड़ों की ग्रेडिंग के हिसाब से 500 रुपए से लेकर 4 हजार रुपए तक होगी। इससे निगम की आय बढ़ेगी और इसे ग्रीन फंड में ड ाला जाएगा जिसका इस्तमाल शहर में पौधे लगाने या फ्लोरा को विकसित करने के लिए किया जाएगा।