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बेरोजगारी का आलम: अंग्रेजी में MA करने वाले भी चपरासी और माली पद के लिए लगे कतार में, 15 पदों के लिए 11082 आवेदक
jantaserishta.com
29 Dec 2021 11:53 AM GMT
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Unemployment in Madhya Pradesh: कोरोना के इस दौर में नौकरियों पर संकट के बीच सरकारी नौकरी की सुरक्षा कितने मायने रखती है, इसकी एक तस्वीर मध्य प्रदेश में देखने को मिली, जहां जिला अदालतों में चपरासी की नौकरी तक के लिए ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री वाले कतार लगाकर इंटरव्यू देने पहुंच रहै हैं. आलम यह है कि ग्वालियर जिला अदालत में प्यून, माली, ड्राइवर और स्वीपर के 15 पदों के लिए 11 हजार लोगों ने आवेदन भर दिया.
बेरोजगारों की सामने आई कतार एक अदद सरकारी नौकरी की आस लगाए उन नौजवानों की है जिन्होंने ऊंची तालीम हासिल करने के बाद अच्छी नौकरी और तनख्वाह का सपना देखा था, लेकिन सालों से सरकारी नौकरियों में भर्ती का इंतजार करते-करते जब सब्र टूट गया तो यह युवा मध्य प्रदेश की अलग-अलग जिला अदालतों में चपरासी और माली बनने पहुंच गए. दरअसल, मध्य प्रदेश की जिला अदालतों में इन दिनों प्यून, माली, स्वीपर और ड्राइवर की नौकरी के लिए इंटरव्यू चल रहे हैं लेकिन बेरोजगारी का आलम देखिये कि जिस प्यून, माली और स्वीपर की नौकरी के लिए आठवीं पास और ड्राइवर की नौकरी के लिए 10वीं पास की योग्यता रखी गई है. उसी नौकरी के लिए ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री धारी कतार लगाकर इंटरव्यू देने पहुंच रहे हैं.
नरसिंहपुर के जिला अदालत में चपरासी, माली, स्वीपर और ड्राइवर की नौकरी पाने के लिए युवा बेरोजगार दूर-दूर से इंटरव्यू देने पहुंचे. इनमे से एक हैं करेली के रहने वाले अभिनंदन कौरव, जिन्होंने इंग्लिश विषय से MA किया है और M.ed किया है. इसके अलावा अभिनंदन के पास BSC की डिग्री भी है. लेकिन अभिनंदन प्यून की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने आए हैं. पूछने पर बताते हैं कि बेरोजगारी बहुत है. अन्य दफ्तरों पर स्थाई रूप से काम करने का मौका नहीं मिलता लेकिन सरकारी नौकरी में यह है कि स्थाई रूप से लंबे समय तक ही के स्थान पर काम करने का मौका मिलता है और नौकरी भी सुरक्षित रहती है.
अभिनंदन की ही तरह चपरासी पद के लिए इंटरव्यू देने एक पैर से दिव्यांग राजेश भी आए हैं. राजेश ने सोशलॉजी से MA की पढ़ाई की है. पूछने पर बताते हैं कि नौकरी मिल ही नहीं रही है. 2 साल कोरोना काल मे चले गए और 3 साल चुनाव में चले गए नौकरी कहीं नहीं मिल रही है इसलिए मजबूरी में चपरासी की नौकरी के लिए फॉर्म भरा है
15 पदों के लिए 11 हजार से ज्यादा आवेदन
गवालियर जिला अदालत में भी प्यून, माली, ड्राइवर और स्वीपर के कुल 15 पदों के लिए 11 हज़ार से ज्यादा लोगों ने आवेदन दिया है. अधिकतर युवा ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, एलएलबी, सिविल जज की तैयारी करने वाले, बीटेक, एमबीए ओर पीएचडी तक के हैं. इंटरव्यू के लिए जिला कोर्ट के बाहर सुबह 7 बजे से कतार लग जाती है. बहोड़ापुर ग्वालियर निवासी विनोद की उम्र 39 साल होगई और सरकारी नौकरी अभी तक नहीं लगी. इसलिए भर्ती निकलते ही बीएड कर चुके और दो बच्चों के पिता विनोद भी प्यून की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने पहुंच गए.
इसी साल विधानसभा में सरकार ने बताया था कि साल 2020 के अंत तक मध्यप्रदेश में 24 लाख 72 हज़ार बेरोजगार पंजीकृत हैं. साल 2018 में 7 लाख 47 हज़ार बेरोजगारों ने पंजीयन करवाया. साल 2019 में आंकड़ा बढ़कर 8 लाख 46 हज़ार बेरोजगारों तक पहुंच गया.
साल 2020 में नए बेरोजगारों की संख्या 6 लाख 11 हज़ार रही. हालांकि, लाखों बेरोजगारों में से जब नौकरी देने की बारी आई तो सच्चाई जानकर आप हैरान रह जाएंगे. आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने बताया है कि साल 2020 में उसने 3 हज़ार 605 आवेदकों को नौकरी दिलवाई है. आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में शिक्षकों, पुलिस, पटवारी समेत कई विभागों में करीब 80 हज़ार के आसपास पद खाली हैं. इनमे से कई पद संविदा भर्ती के ज़रिए चलाये जा रहे हैं
कांग्रेस शिवराज सरकार पर हमलावर
सरकारी नौकरियों में भर्तियों को लेकर अब कांग्रेस मध्य प्रदेश शिवराज सरकार पर हमलावर है. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने शिवराज सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश बेरोज़गारों का गढ़ बनता जा रहा है. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश बेरोजगारी और बेरोजगारों का हब बनता जा रहा है. यहां सालों से भर्ती नहीं होती और कुछ पदों पर जब होती है तो उसमें हज़ारों लोग आ जाते हैं जिन्होंने काफी बड़ी डिग्री ले रखी है. कमलनाथ सरकार ने टीचरों की नियुक्ति शुरू की थी लेकिन उसे भी इन लोगों ने लटका दिया. हालांकि, मध्यप्रदेश सरकार के संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि नौकरियों की भले ही कमी है लेकिन सरकार इसपर गंभीरता से काम कर रही है और जल्द ही सरकारी भर्तियां निकाली जाएंगी.
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