बिहार

महिला एवं बाल विकास निगम के तत्वाधान में नई चेतना अभियान पहल बदलाव की ओर विषय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

15 Dec 2023 6:58 AM GMT
महिला एवं बाल विकास निगम के तत्वाधान में नई चेतना अभियान पहल बदलाव की ओर विषय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
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लखीसराय। लखीसराय महिला एवं बाल विकास निगम के तत्वाधान में नई चेतना अभियान पहल बदलाव की ओर के मद्देनजर आज केएसएस कॉलेज जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान कॉलेज के प्राचार्य डॉ अजय कुमार ने इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन के लिए छात्राओं को संबोधित करते हुए महिला बाल विकास निगम के सभी …

लखीसराय। लखीसराय महिला एवं बाल विकास निगम के तत्वाधान में नई चेतना अभियान पहल बदलाव की ओर के मद्देनजर आज केएसएस कॉलेज जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान कॉलेज के प्राचार्य डॉ अजय कुमार ने इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन के लिए छात्राओं को संबोधित करते हुए महिला बाल विकास निगम के सभी पदाधिकारियों एवम् कर्मियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के संवेदीकरण जागरूकता कार्यक्रम इस कॉलेज में आयोजित किया गया है जो सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि हमारा देश मातृ प्रधान है। यहां माताओं को देवी का दर्जा दिया गया है, बिना माता के सृष्टि की कल्पना करना मूर्खतापूर्ण बातें हैं। लड़की को पढ़ने के साथ साथ संस्कार पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। छात्रों को भी उन्होंने कहा कि नारी को सम्मान दें। जिसके तहत लड़कियों को भी सम्मान की दृष्टि से देखने का निर्देश दिया । उन्होंने कहा कि लैंगिक हिंसा के लिए सबों से आवाज उठाने की आवश्यकता है। चाहे वह घर से ही क्यों न करना पड़े। प्रभारी ज़िला परियोजना प्रबंधक सह सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक अमित कुमार विक्रम ने लिंग आधारित हिंसा के प्रमुख कारण बताते हुए कहा कि सामाजिक,राजनीतिक, सांस्कृतिक कारक,

भेदभावपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक या धार्मिक मानदंड और प्रथाएंँ महिलाओं और लड़कियों को हाशिए पर डालती हैं और उनके अधिकारों का सम्मान करने में विफल रहती हैं। लैंगिक रूढ़ियों का उपयोग अक्सर महिलाओं के खिलाफ हिंसा को सही ठहराने के लिये किया जाता है। सांस्कृतिक मानदंड अक्सर यह तय करते हैं कि पुरुष आक्रामक, नियंत्रित और प्रमुख हैं। ये मानदंड दुरुपयोग की संस्कृति को बढ़ावा दे सकते हैं। ज़िला मिशन समन्वयक प्रशांत कुमार ने कहा कि
महिलाओं के खिलाफ हिंसा के प्रभाव इस प्रकार देखने को मिलता है।‌ यह महिलाओं के स्वास्थ्य के सभी पहलुओं- शारीरिक, यौन और प्रजनन, मानसिक और व्यावहारिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इस प्रकार यह उन्हें उनकी पूरी क्षमता का एहसास होने से वंचित करता है।
हिंसा और संबंधित धमकी महिलाओं की सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों के कई रूपों में सक्रिय तथा समान रूप से भाग लेने की क्षमता को प्रभावित करती है। कार्यस्थल पर उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी तथा उनके आर्थिक सशक्तीकरण पर प्रभाव पड़ता है।
यौन उत्पीड़न महिलाओं के शैक्षिक अवसरों और उपलब्धियों को सीमित करता है। लिंग आधारित हिंसा को समाज, सरकार और व्यक्तियों के सामूहिक प्रयासों से समाप्त किया जा सकता है।
लिंग आधारित हिंसा को पहचानने और पीड़ितों की पहचान कर उससे संबंधित आवश्यक कदम उठाने के लिये स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षित करना ,पीड़ितों की सहायता करने के सबसे महत्त्वपूर्ण तरीकों में से एक है। उन्होंने कहा कि इसे दृश्यमान बनाने, विज्ञापन समाधानों, नीति-निर्माताओं को सूचित करने और जनता को कानूनी अधिकारों के बारे में शिक्षित करने और पहचानने एवं रोकने के लिये मीडिया एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है। प्रखण्ड समन्वयक उड़ान राज अंकुश शर्मा ने बताया कि शिक्षा के माध्यम से स्कूल, जीवीभी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नियमित पाठ्यक्रम, स्कूल परामर्श कार्यक्रम और स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा हिंसा को रोका जा सकता है।

वन स्टॉप सेंटर के केंद्र प्रशासक पूनम कुमारी ने बताया कि कोइ भी हिंसा से पीड़ित महिला या लड़की जिला मुख्यालय स्थित वन स्टॉप सेंटर में आकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं । दर्ज़ शिकायत को गंभीरता पूर्वक मामला को निबटारा किया जाता है। अथवा टॉल फ्री नंबर 181के माध्यम से शिकायत दर्ज़ कर मदद लें सकते हैं। मौके पर प्रोफेसर ब्रेजेश कुमार ब्रजेश , लैंगिक विशेषज्ञ नवीन कुमार,एसआई रेणु कुमारी छात्रा खुशबू, सोनम, जूली, सोनाक्षी, पूजा सहित कई छात्र -छात्राओं सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।

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