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मुंबई | लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि पर पुणे में आयोजित एक समारोह में आज (मंगलवार, 1 अगस्त) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार एकसाथ एक मंच पर होंगे। लोकमान्य तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट के इस समारोह में शरद पवार चीफ गेस्ट बनाए गए हैं। बतौर मुख्य अतिथि शरद पवार पीएम मोदी को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। खास बात यह है कि उस मंच पर नरेंद्र मोदी के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और दोनों उपमुख्यमंत्री अजित पवार और देवेंद्र फड़णवीस भी रहेंगे।
एनसीपी में टूट के बाद ऐसा पहली बार होगा, जब शरद पवार सार्वजनिक तौर पर किसी मंच पर इन नेताओं के साथ होंगे। प्रधानमंत्री के स्वागत में पुणे में भव्य पंडाल बनाया गया है और गलीचा वगैरह बिछाया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि शरद पवार के हाथों से मोदी को पुरस्कार, तिलक पगड़ी देकर सम्मानित किया जाएगा। महाविकास अघाड़ी के घटक दलों को यह बात रास नहीं आ रही है।
'सामना' के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी के पुणे दौरे पर 93 वर्षीय डॉ. बाबा अढाव के नेतृत्व में ‘इंडिया फ्रंट’ की ओर से काले झंडे दिखाकर उनका विरोध किया जाना है। इस आंदोलन में शरद गुट के एनसीपी कार्यकर्ता भी शामिल होंगे। यानी पीएम मोदी के साथ मंच पर शरद पवार होंगे, जबकि उनके कार्यकर्ता काले झंडे थामे सड़कों पर खड़े होंगे। यह अजीबोगरीब परिस्थिति बनकर सामने आ गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पुणे यात्रा के दौरान उनके खिलाफ प्रदर्शन करने की योजना बना रहे विपक्षी दलों के सदस्यों ने सोमवार को दावा किया कि पुलिस ने उन्हें नोटिस भेजा है। प्रदर्शन में भाग लेने की योजना बना रहे शरद गुट के एनसीपी की पुणे इकाई के अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने कहा कि उन्हें पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 149 (संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए पुलिस द्वारा उठाया जाने वाला कदम) के तहत नोटिस दिया है।
उधर, शिवसेना (यूटीबी) के सांसद अरविंद सावंत ने सोमवार को कहा कि शरद पवार को उस कार्यक्रम में शिरकत करने के अपने फैसले पर पुन: विचार करना चाहिए, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाना है। विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' में शामिल विभिन्न दलों के नेताओं ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा है कि यह गठबंधन के लिए ठीक नहीं होगा। कुछ नेताओं ने कार्यक्रम में शामिल होने के फैसले पर इसलिए भी सवाल उठाया है क्योंकि उनके भतीजे अजित पवार विद्रोह करके महाराष्ट्र की भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए हैं।
सावंत ने कहा कि तिलक ने 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है' का नारा दिया था। लेकिन “क्या आज स्वराज है?” आज के हालात में उन्हें (पवार को) सोचना चाहिए..यह स्व-राज यानी एक व्यक्ति का राज है।” सावंत ने कहा कि पवार को अपने फैसले पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “उनकी पार्टी (भाजपा) के नेता संविधान को तबाह कर रहे हैं, उन्हें (पवार को) वहां नहीं जाना चाहिए।” बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी से पहले यह पुरस्कार इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, सायरस पूनावाला, एस.एम. जोशी ऐसे महान लोगों को दिया जा चुका है।
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Harrison
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