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मामा ने अपनी नाबालिग भांजी से रचाई शादी, फिर जो हुआ...

jantaserishta.com
23 Jun 2024 7:37 AM GMT
मामा ने अपनी नाबालिग भांजी से रचाई शादी, फिर जो हुआ...
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सांकेतिक तस्वीर

प्राथमिकी दर्ज की गई.
ठाणे: महाराष्ट्र के ठाणे में पुलिस ने जालना जिले के 23 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ दो साल पहले अपनी नाबालिग भांजी से शादी करने के आरोप में मामला दर्ज किया है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुलिस ने आरोपी के भाई और पीड़िता के पिता के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। वागले एस्टेट पुलिस थाने के अधिकारी ने बताया, "17 वर्षीय गर्भवती लड़की की शिकायत के आधार पर गुरुवार को तीनों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और बाल विवाह निषेध अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की
गई
।"
उन्होंने बताया कि मामला जालना जिले के मंथा पुलिस थाने को ट्रांसफर कर दिया गया है, क्योंकि अपराध इसी थाना क्षेत्र में हुआ है। अधिकारी ने बताया कि आरोपियों में लड़की का 23 वर्षीय पति, उसका भाई और पीड़िता का 43 वर्षीय पिता शामिल हैं। पीड़ित लड़की का पति रिश्ते में उसका मामा है।
शिकायत का हवाला देते हुए अधिकारी ने बताया कि शादी 13 जुलाई 2022 को हुई थी, जब पीड़िता की उम्र महज 15 साल और पांच महीने थी। उसके पिता ने ही उसकी शादी उसके मामा से करा दी थी। शिकायत में कहा गया है कि जालना के मंथा में शादी संपन्न हुई। अधिकारी ने बताया कि प्राथमिकी के अनुसार पीड़िता के साथ उसके पति ने बार-बार बलात्कार किया, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई।
दो दिन पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी रिश्तों को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया था। वर्ष 2017 में अपनी नाबालिग भतीजी का अपहरण करने और उससे बार-बार बलात्कार करने के दोषी व्यक्ति को यहां की एक अदालत ने 12 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने सजा सुनाते हुए कहा कि जब परिवार में एक ‘दरिंदा’ हो तो बच्चों की सुरक्षा कैसे की जा सकती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर उस व्यक्ति के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसे बलात्कार, अपहरण और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के दंडात्मक प्रावधानों के तहत अपराध का दोषी ठहराया गया था। अदालत ने पाया कि घटना की अवधि के दौरान (पांच जनवरी 2017 से 10 जनवरी 2017 तक) पीड़िता की उम्र लगभग 16-17 वर्ष थी, जबकि दोषी व्यक्ति पहले से शादीशुदा था।
अदालत ने पांच जून को पारित एक आदेश में कहा, ‘‘दोषी रिश्ते में पीड़िता का चाचा है। बच्चों के लिए घर को दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है। संयुक्त परिवार के लोगों को सबसे भरोसेमंद व्यक्ति माना जाता है... जब ‘दरिंदा’ परिवार में हो तो रक्षा कौन करेगा?’’ अदालत ने पीड़िता को 10.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
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