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यूक्रेन-रूस युद्ध: जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भारत सरकार ने अच्छा काम किया
jantaserishta.com
4 March 2022 9:20 AM GMT
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चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि अखबारों की कटिंग को लेकर पीआईएल दाखिल की है.
नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में इस समय उन भारतीयों की स्थिति काफी मुश्किल है जो युद्ध क्षेत्र में फंस गए हैं. भारत में तो ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. आज इस मामले की अहम सुनवाई हुई थी.
यूक्रेन में फंसे छात्रों को देश वापस लाने के मामले पर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही याचिकाकर्ता के वकील विशाल तिवारी को फटकार लगाते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि अखबारों की कटिंग को लेकर पीआईएल दाखिल की है. ये तरीका नहीं है. कोई फैक्ट नहीं है ये. आपकी इस हरकत पर हम जुर्माना भी लगा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने की सरकार के प्रयास की तारीफ
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि याचिका दाखिल करने वाली छात्रा यूक्रेन से रोमानिया पहुंच चुकी है. आज उसे वापस भारत लाया जा सकता है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि युद्ध प्रभावित यूक्रेन में पड़ोसी देशों की सीमा से करीब 100 किलोमीटर दूर छात्र फंसे हैं, उनकी व्यवस्था की जाए.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम परिस्थितियों को लेकर चिंतित हैं. अटॉर्नी जनरल ने भी आश्वासन देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री लगातार इस मसले पर मीटिंग कर रहे हैं. मंत्रियों को युद्धग्रस्त यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा गया है. अब तक यूक्रेन में पढ़ाई या काम करने वाले 17 हजार छात्रो और अन्य नागरिकों को हम स्वदेश वापस ला चुके हैं.
CJI ने कहा कि हम आपके द्वारा उठाए गए कदमों पर सवाल नहीं उठा रहे हैं. हम तो सराहना करते हैं. लेकिन याचिका को लंबित रख रहे हैं क्योंकि हम इस पर आगे भी बढ़ना चाहते हैं. अगले शुक्रवार को फिर इस मामले पर सुनवाई करेंगे. इस बीच सभी हाईकोर्ट को बताया जाए कि वो ऐसे मामलों में सुनवाई ना करें क्योंकि हम सुन रहे हैं.
सरकार को हेल्पलाइन नंबर शुरू करने का निर्देश
वैसे इस सब के अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार को ऑनलाइन हेल्पलाइन शुरू करने को कहा ताकि राज्य सरकारें और प्रभावित लोग जानकारी पा सकें. इस पर याचिकाकर्ता के वकील एएम धर ने भी कहा कि सरकार ने तेजी से कदम उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आगे अपनी बात बढ़ाते हुए कहा कि छात्रों के माता-पिता की परेशानी को देखते हुए केन्द्र सरकार सेंन्ट्रलाइज हेल्पलाइन पोर्टल बनाए और पीड़ितों से जानकारी साझा करे.
CJI ने टिप्पणी की कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने इतिहास से कोई सबक नहीं सीखा है. जहां मानव जाति लड़ रही है और लोगों को मार रही है. और हम जानते हैं कि बातचीत से विवाद को सुलझाया जा सकता है. दुर्भाग्य से इन मुद्दों में हमारी कोई भूमिका नहीं है.
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