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उद्धव ठाकरे ने शिंदे खेमे को बताया 'देशद्रोही'

Nilmani Pal
6 Oct 2022 1:05 AM GMT
उद्धव ठाकरे ने शिंदे खेमे को बताया देशद्रोही
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मुंबई। महाराष्ट्र की दो दशहरा रैलियां बुधवार को सियासी अखाड़े में तब्दील हो गईं। उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे की लड़ाई में जमकर शब्दभेदी बाणों का इस्तेमाल हुआ। ठाकरे ने शिंदे खेमे को 'देशद्रोही' करार दिया। शिंदे ने भी उद्धव पर पलटवार करते हुए उन्हें हिंदुत्व से गद्दारी करने वाला कहा। मुंबई के प्रतिष्ठित शिवाजी पार्क मैदान में वार्षिक दशहरा रैली को संबोधित करते हुए, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों को "देशद्रोही" करार दिया। शिवसेना अध्यक्ष ने कहा कि उन (शिंदे) पर लगा 'विश्वासघाती' का कलंक कभी नहीं मिटेगा। शिवसेना अध्यक्ष ठाकरे ने शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा, "समय बदलता है, रावण का चेहरा भी बदलता है। जब मेरी तबीयत खराब थी और मेरी सर्जरी हुई थी तो मैंने उन्हें (शिंदे) जिम्मेदारी दी थी। लेकिन उन्होंने यह सोचकर मेरे खिलाफ साजिश रची कि मैं फिर कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं होऊंगा।" इसी साल जून में शिंदे के विद्रोह ने राज्य में ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया था।

जून में मुख्यमंत्री पद छोड़ने वाले ठाकरे ने मुंबई के शिवाजी पार्क में वार्षिक दशहरा रैली को संबोधित किया। वहीं, शिंदे नीत शिवसेना के धड़े ने बीकेसी (बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स) में दशहरा रैली आयोजित की। शिंदे की बगावत के कारण ठाकरे के नेतृत्व वाली प्रदेश की शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन वाली महा विकास आघाडी सरकार 29 जून को गिर गई थी जिसके बाद 30 जून को शिंदे ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा, ''विश्वासघाती का कलंक कभी नहीं मिटेगा। जैसे-जैसे समय बदलता है, रावण का चेहरा भी बदल जाता है। आज, ये विश्वासघाती (रावण के रूप में) हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए जब मैं अस्वस्थ था और मेरी सर्जरी हुई थी, तो मैंने वरिष्ठ मंत्री होने के नाते उन्हें (शिंदे को) जिम्मेदारी दी थी।'' ठाकरे ने आरोप लगाया, ''लेकिन उन्होंने यह सोचकर मेरे खिलाफ साजिश रची कि मैं (शायद) फिर कभी पैरों पर खड़ा नहीं हो पाऊंगा।''

उन्होंने कहा कि आज का रावण ज्यादा सिर होने की वजह से नहीं बल्कि 'खोखे' (पैसे) की वजह से जाना जाता है। ऐसा कहकर उन्होंने एमवीए सरकार को गिराने में कथित रूप से धन के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, ''अगर आपको लगता है कि मुझे शिवसेना अध्यक्ष नहीं रहना चाहिए, तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। लेकिन सत्ता लोलुप होने की एक सीमा होती है... विश्वासघात करने के बाद, वह (शिंदे) अब पार्टी का चुनाव चिह्न भी चाहते हैं और पार्टी अध्यक्ष भी कहलाना चाहते हैं।'' उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिंदे अब शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की विरासत को अपनाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें ''अपने पिता के नाम पर'' वोट नहीं मिलेंगे।

ठाकरे ने कहा कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वादा तोड़ने का सबक सिखाने के लिए पारंपरिक विरोधियों- कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ चुनाव के बाद गठबंधन किया था। ठाकरे ने कहा, ''मैं अपने माता-पिता की कसम खाकर कहता हूं कि यह तय किया गया था कि भाजपा और शिवसेना ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद साझा करेंगे।'' उन्होंने कहा कि एमवीए सरकार में कांग्रेस और राकांपा नेताओं के साथ मंत्री पद की शपथ लेने वाले सबसे पहले नेताओं में शिंदे शामिल थे और ''उन्हें तब कोई दिक्कत नहीं थी।'' वह शिंदे के उस दावे के संदर्भ में बात कर रहे थे कि जिसमें शिवसेना के बागी नेता ने कहा था कि उन्होंने और उनके सहयोगियों ने नए गठबंधन को कभी मान्यता नहीं दी।


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