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तीन तलाक कानून के 2 साल पूरे, मोदी सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री ने कहा- मामलोँ में 80 फीसदी की कमी, पढ़े मुस्लिम संगठन का बयान

jantaserishta.com
3 Aug 2021 3:48 AM GMT
तीन तलाक कानून के 2 साल पूरे, मोदी सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री ने कहा- मामलोँ में 80 फीसदी की कमी, पढ़े मुस्लिम संगठन का बयान
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तीन तलाक के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा लाए गए कानून को दो साल पूरे हो गए हैं. कानून को पूरी तरह प्रभावी बताते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी दावा कर रहे हैं कि इससे ट्रिपल तलाक के मामलों में 80 फीसदी की कमी आई है. हालांकि मुस्लिम संगठन इन आंकड़ों पर सवाल उठा रहे हैं. तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर इस कानून के दुरुपयोग होने का दावा कर रही हैं.

मोदी सरकार का दावा- तीन तलाक में कमी
तीन तलाक कानून के दो साल पूरे होने पर रविवार को राजधानी दिल्ली में 'मुस्लिम महिला अधिकार दिवस' का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसमें मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मुस्लिम महिला (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) एक्ट लागू होने के बाद तीन तलाक के मामलों में 80 फीसदी की कमी आई है. 1 अगस्त 2019 को कानून लागू होने से पहले उत्तर प्रदेश में 63 हजार से ज्यादा मामले दर्ज थे, जो कानून लागू होने के बाद 221 रह गए. बिहार में 49 मामले ही तीन तलाक के दर्ज हुए. कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि यह मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मुस्लिम महिलाओं की भावना और संघर्ष को सलाम करने के लिए है.
'कानून से महिलाओं के लिए दिक्कतें बढ़ीं'
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि तीन तलाक के लागू होने के दो साल बाद मोदी सरकार ने जो दावा किया है, वो जमीनी हकीकत से पूरी तरह से मेल नहीं खाता है. मुस्लिम कम्युनिटी के जो तथ्य हमारे सामने आ रहे हैं, उससे यह पता चलता है कि कानून लागू होने के बाद मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं.
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक मौलाना सज्जाद नोमानी कहते हैं कि तीन तलाक को रोकने का इस्लामी तरीके से कानून बनाया जाता तो काफी प्रभावी होता. तीन तलाक को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी रोकना चाहता था, जिसके लिए हम इस्लामिक लिहाज से कानून बनाने के लिए पक्षधर थे, लेकिन सरकार बिना मुस्लिम उलेमाओं और संगठन से विचार-विमर्श किए कानून आई, जो तीन तलाक को खत्म करने से ज्यादा परेशानी खड़े करने वाला बन गया है. नोमानी ने कहा कि हम तीन तलाक कानून के नकारात्मक और सकारात्मक दोनों पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं और उनसे जुड़े तथ्य जुटा रहे हैं ताकि लोगों के सामने इस कानून की हकीकत को रख सकें.
कानून की काट के लिए जुगाड़ का सहारा
दिल्ली के फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद कहते हैं कि तीन तलाक को लेकर भी मोदी सरकार का आंकड़ा उसी तरह से है, जिस प्रकार सरकार कोरोना महामारी में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत न होने का दावा करती है. ट्रिपल तलाक कानून लागू होने के बाद अब लोग तलाक के तीन अलग-अलग तारीखों की एफिडेविट बनवाकर ले आ रहे हैं और अपनी पत्नी को पकड़ा दे रहे हैं. ये एक तरह से कानून की काट लोगों ने तलाश ली है.
मुफ्ती मुकर्रम अहमद कहते हैं कि हमें तीन तलाक रोकने की दिशा में काम करना चाहिए, जिसके लिए सामाजिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने की जरूरत थी. मैं अपनी हर तकरीर (संबोधन) में तलाक ही न हो, इसके लिए जोर देता हूं. तलाक के मामले समाज में इसलिए भी होते हैं, क्योंकि लोगों को न सामाजिक नियमों और न इस्लामिक शरियत की जानकारी होती हैं.
'कानून से तीन तलाक में कमी लाई, लेकिन ये खत्म नहीं होगा'
जमात-ए-इस्लामी-हिंद के शरिया काउंसिल के सदस्य महिदुद्दीन गाजी कहते हैं कि सख्त सजा से मामले घटते हैं. तीन तलाक में भी ये देखने का मिल रहा है, लेकिन ये समस्या का हल नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ही साबित है कि अगर कोई शख्स तीन तलाक देता है तो तलाक ही नहीं होगा. इसके बावजूद सरकार ने बिना सोचे-समझे तीन तलाक को लेकर कानून बना दिया और तीन साल की सजा रख दी. सरकार को सख्त कानून के बजाय लोगों को शिक्षित और जागरूक करने की दिशा में कदम उठाना होगा. जालिमाना कानून से इसे खत्म नहीं किया जा सकता है.
कानून का हो रहा है दुरुपयोगः शाइस्ता
तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर कहती हैं कि कानून आने के बाद ट्रिपल तलाक में कमी आई है. अब पहले की तरह न तीन तलाक के मामले रोज सुनाई नहीं दे रहे हैं. लेकिन, ये दूसरे मामलों की शक्ल में जरूर सामने आ रहे हैं. पुरुष पहले तीन तलाक का गलत इस्तेमाल करता था तो अब महिलाएं नए कानून को बेवजह इस्तेमाल कर रही हैं. हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें लड़की और उसके घर वालों ने लड़के के खिलाफ तीन तलाक कानून को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया. इसलिए कानून को गलत इस्तेमाल से रोकने के लिए भी सरकार को संजीदगी से सोचने की जरूरत है.
मुसलमानों को कानून मंजूर नहीः ओवैसी
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि मुसलमानों को यह कानून मंजूर नहीं है और इससे महिलाओं की मुसीबतों में इजाफा ही होगा. ट्रिपल तलाक कानून असंवैधानिक है और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है. यह समानता के खिलाफ है और मुसलमानों को बुरा बताने वाला है. क्या मोदी सरकार केवल मुस्लिम महिला (अधिकार) दिवस मनाएगी? हिंदू, दलित और ओबीसी महिलाओं के सशक्तिकरण का क्या? ओवैसी ने कहा कि इस कानून की वजह से मुस्लिम महिलाओं का और अधिक उत्पीड़न होगा और उनकी दिक्कतें बढ़ेंगी. केवल केस दर्ज किए जाएंगे, कोई न्याय नहीं होगा.
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