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कोलकाता के जोड़ासांको में इमारत का एक हिस्सा गिरने से दो लोगों की मौत
Shiddhant Shriwas
10 Oct 2021 7:17 AM GMT
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रवींद्र सरनी पर एक जर्जर तीन मंजिला इमारत की ऊपरी मंजिल पर बालकनी का एक हिस्सा ढह गया,
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पश्चिम बंगाल के उत्तरी कोलकाता (North Kolkata) में शनिवार को एक जर्जर इमारत (Building) की बालकनी का एक हिस्सा गिरने से कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. मृतकों में एक बाइक सवार है, जबकि एक और पैदल यात्री है. वे उस समय उस मकान के नीचे से गुजर रहे थे. उन पर ही बालकनी का एक हिस्सा गिर गया. उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी. घायलों का एक अस्पताल में इलाज चल रहा है.
एक अधिकारी ने बताया कि जोड़ासांको थाना क्षेत्र में शाम को हुई इस घटना में एक 20 वर्षीय स्कूटर सवार और 47 वर्षीय एक पैदल यात्री की मौत हो गई. उन्होंने कहा कि रवींद्र सरनी पर एक जर्जर तीन मंजिला इमारत की ऊपरी मंजिल पर बालकनी का एक हिस्सा ढह गया, जिसमें दो सड़क पर जा रहे लोगों की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. सवार और पैदल यात्री को स्थानीय अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया, जबकि घायलों का सरकारी चिकित्सा प्रतिष्ठान में इलाज चल रहा है. 29 सितंबर को भारी बारिश के बाद महानगर के उत्तरी हिस्से में एक इमारत गिरने से तीन साल की बच्ची समेत दो लोगों की मौत हो गई थी. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मकान काफी पुराना है. लंबे समय से कोई मरम्मत नहीं हुई है.
लंबे समय से मकान की नहीं हुई थी मरम्मत
स्थानीय लोगों के अनुसार दो मंजिला मकान काफी समय से पुराना था. लंबे समय तक इसमें कोई मरम्मत नहीं हुई थी. हालांकि, पुराने घर में कुछ परिवार रह रहे हैं. नंबर 10 अहिरीटोला स्थित घर को पहले खतरनाक घर घोषित किया गया था. साइन बोर्ड लटके हुए थे, लेकिन घर वालों ने नगर पालिका द्वारा लगाये गये बोर्ड को हटा दिया. मकान मालिक-किरायेदार विवाद के कारण घर का नवीनीकरण नहीं कराया गया था.
कोलकाता में 3000 के करीब हैं जर्जर इमारत
नगर निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक शहर में खतरनाक घरों की संख्या करीब 3,000 है, लेकिन भवन विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि उनके मुताबिक नगर में ऐसे घरों की संख्या के बारे में नगर पालिका को कोई जानकारी नहीं है. अगर कोई शिकायत करता है तो नगर पालिका जान सकती है कि निर्माण अवैध है, तो उसकी जांच होती है. नगर निगम सूत्रों ने बताया कि नगर आधारित टीम होने के बावजूद सिविल सेवकों की कमी के कारण अवैध निर्माणों पर निगरानी का काम ठीक से नहीं हो पा रहा है. लेकिन अवैध निर्माण की 'बीमारी' इतनी पुरानी होने के बावजूद नगर पालिका को इसकी सही जानकारी क्यों नहीं है? यह सवाल नगर प्रशासन के हिस्से में उठ खड़ा हुआ है.
Shiddhant Shriwas
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