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हिमस्खलन में दो दोस्तों की मौत, 40 साल से एक साथ कर रहे थे ट्रेक‍िंग, जानें कैसे हुआ ये सब

jantaserishta.com
27 Oct 2021 8:00 AM GMT
हिमस्खलन में दो दोस्तों की मौत, 40 साल से एक साथ कर रहे थे ट्रेक‍िंग, जानें कैसे हुआ ये सब
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किन्नौर: हिमाचल प्रदेश के किन्नौर इलाके में 23 अक्टूबर को भारी बर्फबारी के दौरान तीन ट्रेकर्स बर्फ में दब गए जबकि 14 अन्य को बचा लिया गया. मृतकों में से दो डोंबिवली के रहने वाले हैं. उनके नाम राजेंद्र पाठक ( 67 ) और अशोक भालेराव ( 66 ) हैं. वे दोनों डोंबिवली में रहते थे.

वे बचपन से दोस्त रहे, दोनों को ट्रेकिंग बहुत पसंद था और साथ ही करते थे. यह ट्रेक उनके जीवन का अंतिम ट्रेक बन गया, पिछले तीन दिन से उनका परिवार नजर गड़ाए बैठा है कि तलाश में शव मिला या नहीं ?
डोंबिवली पूर्व के सुरेखा सहकारी समिति के निवासी राजेंद्र पाठक अपने भाई दीपक, पत्नी वैजयंती और बेटे के साथ रह रहे थे. अशोक भालेराव स्नेहगंध सोसायटी, ठकुर्ली में रहते थे. वे स्कूल के दोस्त थे. स्कूल के दोस्त होने के कारण उनके आपस में पारिवारिक संबंध थे. राजेंद्र पाठक को ट्रेकिंग के साथ-साथ संगीत का भी शौक था. वह एक उत्कृष्ट गिटारवादक और हारमोनियम वादक थे. वह हारमोनिका समूह के सदस्य थे.
दोनों को ट्रेकिंग का शौक था. वे लगभग 40 वर्षों से एवरेस्ट, सह्याद्री और हिमालय पर ट्रेकिंग कर रहे थे. इसलिए उन्हें पर्वतारोहण का बहुत अच्छा अनुभव था. उम्र सीमा पार करने के बाद भी वे ट्रेकिंग को पसंद करते रहे. वह साल में कम से कम एक जगह ट्रेकिंग करने जाते थे. जैसे ही कोरोना के प्रतिबंधों में ढील दी गई, उन्होंने फिर से ट्रेकिंग शुरू कर दी. उन्होंने मलाड के समूह के साथ हिमाचल प्रदेश में ट्रेकिंग करने का फैसला किया.
16 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश के लिए उड़ान भरने के बाद उन्होंने 17 अन्य लोगों के समूह के साथ ट्रेकिंग शुरू की. 10 दिन का यह ट्रेक 26 अक्टूबर को समाप्त होने वाला था. 23 अक्टूबर को किन्नौर क्षेत्र में भारी बर्फबारी ने दो करीबी दोस्तों की जीवन लीला समाप्त कर दिया. यह ट्रेक उनके जीवन का अंतिम ट्रेक था.
समूह के शीर्ष तीन लोग बर्फ में दब गए जबकि 14 अन्य को रेस्क्यू कर बचा लिया गया. रविवार को उनके दोस्तों के समूह ने उनकी मौत की सूचना देने के लिए घर पर फोन किया, जिसके बाद से उनके रिश्तेदार इस खबर पर कड़ी नजर रख रहे हैं कि उन दोनों दोस्तों का शव कब डोंबिवली आएगा. हालांकि तीन दिन बाद भी उनके शव नहीं मिलने से परिजन चिंतित हैं.
संबंधित एजेंसियां अपने स्तर पर काम कर रही हैं लेकिन सरकार संबंधित एजेंसियों को जरूरी मदद मुहैया कराए ताकि उनके परिजनों के शव जल्द से जल्द उन तक पहुंच सके. उनके जाने से इलाके में हड़कंप मच गया है.

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