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द्वादश ज्योर्तिलिंग बाबा बैद्यनाथ और मां पार्वती के मंदिर शिखर में है गठबंधन की अनोखी परंपरा

jantaserishta.com
9 July 2023 5:16 AM GMT
द्वादश ज्योर्तिलिंग बाबा बैद्यनाथ और मां पार्वती के मंदिर शिखर में है गठबंधन की अनोखी परंपरा
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यह अनुष्ठान किसी अन्य ज्योतिर्लिंग में देखने को नहीं मिलती है।
देवघर: झारखंड के देवघर स्थित प्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंग कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ को मंदिर परिसर में ऐसे तो 22 मंदिर हैं, जहां एक ही परिसर में शिव, शक्ति, विष्णु, ब्रह्मा की भी पूजा होती है। इस परिसर में शिव मंदिर के शिखर से मां पार्वती मंदिर के शिखर तक गठबंधन की एक अनोखी परंपरा है, जो आने वाले हर भक्त करना चाहते हैं।
प्राचीनकाल से चले आ रहे इस धार्मिक अनुष्ठान को ’गठजोड़वा’ या ’गठबंधन’ भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस अनुष्ठान को करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो जाती है तथा राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। बाबा बैद्यनाथ मंदिर के शिखर से लेकर माता पार्वती मंदिर के शिखर तक ग्रंथिबंधन एक लाल धागे से बांधा जाता है। यह अनुष्ठान किसी अन्य ज्योतिर्लिंग में देखने को नहीं मिलती है।
इस गठबंधन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे कोई पुरोहित नहीं करते बल्कि प्राचीनकाल से यह गठबंधन का कार्य मंदिर के उपर चढ़कर भंडारी समाज के एक ही परिवार के लोग करते आ रहे हैं। यह गठबंधन ‘लाल रज्जु ’ से निर्मित होता है। इस अनुष्ठान में पति-पत्नी दोनों ही सम्मिलित होते हैं। भंडारी समाज के लोगों का कहना है कि इस गठबंधन को हमारे पूर्वज करते थे और आज हम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि परंपरा निर्वाह करने से अच्छी आमदनी हो जाती है जिससे पूरा परिवार चलता है। उन्होंने बताया कि सावन माह में गठबंधन करने वाले भक्तों की कमी हो जाती है परंतु अन्य दिनों में यह गठबंधन करने के लिए प्रतिदिन 45 से 50 की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं।
गठबंधन करने वाले मोहन राउत कहते हैं कि मंदिर के उपर जाने के लिए एक मोटी जंजीर लगी है जिसके सहारे दोनों मंदिर पर चढ़ा जाता है। वे बताते हैं कि गठबंधन के संकल्प के बाद वे आगे शिव मंदिर के शिखर पर गठबंधन करते हैं। इस दौरान भक्त उस लाल रज्जु केा पकड़े रहते हैं इसके बाद भक्त ही इस लाल रज्जु को पार्वती मंदिर तक ले जाते हैं जहां हमलोग उसे लेकर फिर पार्वती के मंदिर के शिखर में बांध देते हैं।
गठबंधन के विषय में मंदिर के मुख्य पुरोहित दुर्लभ मिश्र का कहना है कि यह अनुष्ठान काफी प्राचीन है। उन्होंने बताया कि यहां शिव अकेले नहीं मां पार्वती के साथ हैं।
शास्त्रों में भी गठबंधन तथा ध्वज चढ़ाने का उल्लेख मिलता है। इस पुनित कार्य से जहां भक्तों की सारी मनोकामनाओं पूर्ण हो जाती है वहीं इसके करने से लोगों को राजसूय यज्ञ का फल भी प्राप्त होता है।
वर्ष भर शिवभक्तों की यहां भारी भीड़ लगी रहती है लेकिन सावन महीने में यह पूरा क्षेत्र केसरिया पहने शिवभक्तों से पट जाता है। भगवान भेलेनाथ के भक्त 105 किलोमीटर दूर बिहार के भागलपुर के सुल्तानगंज में बह रही उत्तर वाहिनी गंगा से जलभर कर पैदल यात्रा करते हुए यहां आते हैं और बाबा का जलाभिषेक करते हैं।
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