त्रिपुरा की आदिवासी पार्टी सत्ता में आने के 150 दिनों के भीतर सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाएगी
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त्रिपुरा। त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) ने कहा है कि 16 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद अगर पार्टी सत्ता में आती है तो वह 150 दिनों के भीतर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करेगी। टीएमपी प्रमुख और पूर्व शाही वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मन ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को अपने 15 सूत्री वादे - 150 दिनों के लिए मिशन 15 जारी किया।
देब बर्मन ने त्रिपुरा में सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण का वादा किया। देब बर्मन ने मीडिया से कहा, "हम चाहते हैं कि त्रिपुरा में किसी भी धर्म और जाति के लोग रहें। हम सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करेंगे। एक देश में दो तरह के कानून नहीं हो सकते, इसी तरह एक देश में ऐसा कानून नहीं हो सकता है, जो मुसलमानों और आदिवासियों को रहने से रोकता हो।" उन्होंने कहा कि त्रिपुरा को मादक पदार्थ मुक्त राज्य बनाने के लिए मादक पदार्थो की समस्या से निपटने के लिए एक ग्राम स्तरीय कार्यबल का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा, "टीएमपी के सत्ता में आने के 150 दिनों के भीतर भ्रष्टाचार और हिंसा के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी। विशिष्ट मिशन चलाया जाएगा और गरीबी के खिलाफ एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा।"
यह कहते हुए कि टीएमपी अन्य पार्टी शासित सरकारों से अच्छी चीजें सीखेगी, देब बर्मन ने कहा कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 10 समस्याओं की पहचान की जाएगी और इन्हें 150 दिनों के भीतर हल किया जाएगा। आदिवासी नेता ने त्रिपुरा के स्वदेशी लोगों के लिए एक स्थायी संवैधानिक समाधान और 150 दिनों में 20,000 नई सरकारी नौकरियां प्रदान करने का वादा किया। टीएमपी ने 20 आदिवासी आरक्षित और शेष सामान्य और अनुसूचित जाति आरक्षित सीटों सहीत 42 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। टीएमपी सुप्रीमो ने पहले सीट समायोजन के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ कई बैठकें कीं, लेकिन आईपीएफटी नेताओं ने देब बर्मन की पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया।
आईपीएफटी 2009 से टीटीएएडीसी के तहत आने वाले क्षेत्रों को मिलाकर एक पूर्ण राज्य बनाने की मांग कर रहा है, जबकि टीएमपी 2021 से टीटीएएडीसी क्षेत्रों को 'ग्रेटर टिप्रालैंड राज्य' या संविधान के अनुच्छेद 2 और 3 के तहत एक अलग राज्य का दर्जा देकर उन्नयन की मांग कर रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा ने सीपीआई-एम के नेतृत्व वाले वाम दल, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस, हालांकि आईपीएफटी और टीएमपी दोनों की मांगों का कड़ा विरोध करते हुए सीट समायोजन करने या टीएमपी या टीआईपीआरए के साथ चुनावी गठबंधन बनाने की बहुत कोशिश की है। त्रिपुरा की 60 विधानसभा सीटों में से 20 आदिवासी आरक्षित सीटें किसी भी पार्टी के लिए सत्ता पर काबिज होने के लिए महत्वपूर्ण हैं और टीएमपी एक आदिवासी आधारित पार्टी होने के नाते इन आदिवासी आरक्षित सीटों की मुख्य हितधारक है, जो कभी वामपंथी दलों का गढ़ हुआ करती थी।