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वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक को दी गई श्रद्धांजलि

Nilmani Pal
20 March 2023 10:54 AM GMT
वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक को दी गई श्रद्धांजलि
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दिल्ली। प्रसिद्ध चिंतक, लेखक, बुद्धिजीवी, अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक की स्मृति में रविवार को इंडिया इंटरेशनल सेंटर, नई दिल्ली में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। उल्लेखनीय है कि हृदयाघात के कारणस्वरूप उनका 78 वर्ष की आयु में 14 मार्च को गुरुग्राम में अचानक निधन हो गया था।


शोकसभा में पूर्व विदेश मंत्री एवं प्रसिद्ध विद्वान डॉ. कर्ण सिंह ने डॉ. वेदप्रताप वैदिक को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे और उन जैसे बहुआयामी व्‍यक्‍तित्‍व के धनी कम ही लोग पैदा होते हैं और वे सर्वधर्म समभाव के बहुत बड़े पैरोकार थे। गमगीन वातावरण के दौरान ही हाल ही में प्रकाशित स्वर्गीय डॉ. वेदवती वैदिक की पुस्तक ‘उपनिषद्—तत्वज्ञान महाकोष’ (ENCYCLOPAEDIA OF UPANISADIC PHILOSOPHY) ग्रंथ का लोकार्पण डॉ. कर्ण सिंह के द्वारा किया गया, क्योंकि डॉ. वैदिक की इच्छा के मुताबिक डॉ. कर्ण सिंह द्वारा आगामी 06 अप्रैल को उसका लोकार्पण प्रस्तावित था।


डॉ. कर्ण सिंह ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए उल्लेख किया कि निधन से एक दिन पहले 13 मार्च को डॉ. वैदिक उनसे इस सिलसिले में मिले थे, लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था, ‘हरि इच्छा भावी बलवाना’। वैदिक दंपति के साथ वर्षों पुराने अपने आत्मीय संबंधों को याद ताजा करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों बहुत विद्वान थे और डॉ. वेदवती ने पुराणों पर काफी और विलक्षण काम किया। विशेष रूप से उनकी कई वर्ष पूर्व प्रकाशित कृति ‘उपनिषदों के ऋषि’ की विशेष संदर्भ के साथ चर्चा करते हुए पुराणों को हमारे धर्म, जीवन और अध्यात्म का प्राण बताया। बिरले व्यक्तित्व ही ऐसी कृतियां रचने में सफल होते हैं। उन्होंने यह रेखांकित भी किया कि विगत 125 वर्षों में केवल दो-तीन महाकोश देखने में आए हैं। डॉ. वेदवती वैदिक द्वारा रचित यह महाकोश इस रूप में सर्वथा भिन्न और अद्भुत है कि यह संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी में एक साथ है।


इस अवसर पर प्रो. एस.डी. मुनि, सुधीन्द्र कुलकर्णी, प्रो. पुष्पेश पंत, वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग, प्रो. अपूर्वानंद ने भी अपने वर्षों पुराने संस्मरण और महत्वपूर्ण विचार साझा करते हुए कहा कि वे मतभिन्नता को स्वतंत्र अभिव्यक्ति का महत्‍वपूर्ण अंग मानते थे और वाणी से इतने उदार थे कि दूसरों की दिल खोलकर प्रशंसा करते थे। वे नए ढंग और कलेवर से अपने दिल की गहराइयों से सराबोर बात रखने की कला में अत्यंत माहिर थे। प्रो पंत ने विशेष बात कही कि वे जुझारू व धुन के इतने पक्के कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी डिग्री की हिंदी माध्यम से मान्यता दिलवाकर ही चैन से बैठे और इस मुद्दे से संसद तक भी हिल गई थी। वे हिंदीवादी नहीं, बल्कि हिंदी के साथ-साथ भारतीय भाषाओं के अग्रदूत थे। वे भारतीय भाषाओं के लिए निरंतर आंदोलित रहे। वे उन लोगों से अलग थे जो पदों की पहचान से जाने व माने जाते हैं, बल्कि वे खुद की शख्सियत के रूप में प्रसिद्ध हुए और अपने-आप में एक संस्था की तरह जिए। मंच का संचालन उनकी पुत्री एवं शिक्षाविद अपर्णा वैदिक ने किया।

इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल, सांसद प्रवेश वर्मा, पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल, आचार्य बालकृष्ण आदि के अलावा कई पत्रकार, शिक्षाजगत, राजनीति, एवं समाजसेवी के रूप में संघर्षरत अनेक गणमान्य लोगों ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर तहेदिल से अपने श्रद्धासमुन अर्पित किए और शोकसंतप्त परिवारजनों के अलावा प्रशंसकों का ढांढ़स बढ़ाया।

श्रद्धांजलि सभा में नंदन झा, ओमवीर तोमर, मुफ्ती शमून कासमी, अर्चना ओझा, सुषमा चौधरी, लोकेश मुनि, वरूण अग्रवाल, डॉ. रीता सिन्हा, डॉ. ​अखिलेश शर्मा, डॉ. चंदना राउल, साई शरणागत, डामोनिक, अनिल शर्मा, ओम रघुवंशी, खेड़ा, मो. इरफान अहमद, केएन सिंह, जेके जैन, ओपी सपरा, मनोज शर्मा, विनीत नरीन, डॉ. शूल पाणी सिंह आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।


अफगानिस्ताकन के पूर्व प्रधानमंत्री हामिद करजई, संयुक्त अरब अमीरात के शाही परिवार के सदस्य और मंत्री शेख नाहयान मुबारक, पूर्व प्रधामंत्री एच.डी. देवेगौड़ा, पूर्व राष्ट्रापति रामनाथ कोविंद, भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिहं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, छत्तीसगढ़ के मुख्यनमंत्री भूपेंद्र बघेल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मणिपुर की राज्यपाल अनसुईया उइके, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व कमलनाथ, राजस्थाान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, स्वामी बाबा रामदेव, स्वामी अवधेशानंद, आदि प्रमुख हस्तियों से भी शोक-संवेदना संदेश श्रद्धांजलि के रूप में प्राप्त हुए।

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