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राजघाट में महात्मा गांधी को दी गई श्रद्धांजलि, वीडियो

Nilmani Pal
2 Oct 2024 1:54 AM GMT
राजघाट में महात्मा गांधी को दी गई श्रद्धांजलि, वीडियो
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दिल्ली। जयंती पर राजघाट में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी गई. आज देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155वीं जयंती मना रहा है. महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ किया गया उनका संघर्ष आज भी इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है.

हम सब जानते हैं कि देश की आजादी में महात्मा गांधी का सबसे बड़ा योगदान है. राष्ट्रपति की जयंती से पहले आपको महात्मा गांधी से जुड़े किस्से कहानियां सुनने मिल रही है. इसी क्रम में हम आपको राजघाट के बारे में बताएंगे जो, मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में स्थित है. जिला मुख्यालय से मात्र 5 किलो मीटर दूर राजघाट जो फिलहाल जलमग्न है. यहां दिल्ली के बाद महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी सहित नर्मदा पार जुड़े टलवई के स्वतंत्रता सेनानी महादेव देसाई की अस्थियां लाई गई थी.

बता दें उस वक्त टलवई के ही काशीनाथ द्विवेदी इन तीनों की अस्थि कलश लेकर सन 1964 में बड़वानी नर्मदा किनारे लाए थे. जहां उनकी अस्थि कलश रख, उस क्षेत्र का नाम राजघाट दिया था. तब से राजघाट नाम से बापू के स्मारक बड़वानी में मौजूद था, लेकिन 27 जुलाई 2017 को सरदार सरोवर बांध के डूब की जद में आने के बाद रातोरात कस्तूरबा गांधी, महात्मा गांधी और महादेव देसाई की अस्थियां वहां से निकालकर कुकरा बसाहट में स्थापित की गई.

महात्मा गांधी व उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी और महात्मा गांधी के सचिव रहे महादेव भाई देसाई के निधन के बाद तीनों के भस्मावशेष इस समाधि स्थल में संचित है. बापू की भस्मियां तो देश में एकाधिक स्थान पर संचित है और कस्तूरबा गांधी और महादेव भाई देसाई की भस्मियां भी पूणे के आगा खां महल में दो अलग-अलग समाधि के रुप में संचित है. मगर एक साथ बा-बापू और उनके अनन्य सेवक महादेव भाई देसाई की भस्मियां केवल बड़वानी कस्बे के राजघाट में ही संचित है. इस समाधि स्थल पर लगे शिलालेख में समाधि से जुड़े तिथिवार ब्यौरे के अलावा एक सूक्ति भी लिखी है कि यह स्मारक हमें सत्य प्रेम और करुणा की प्रेरणा दे.

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