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ट्रांसजेंडर शिक्षिका नौकरी से बर्खास्त, सुप्रीम कोर्ट में हुई इस मामले की सुनवाई

Nilmani Pal
11 Dec 2024 2:23 AM GMT
ट्रांसजेंडर शिक्षिका नौकरी से बर्खास्त, सुप्रीम कोर्ट में हुई इस मामले की सुनवाई
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दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और गुजरात के निजी स्कूलों द्वारा एक ट्रांसजेंडर शिक्षिका को उसकी लैंगिक पहचान उजागर होने के बाद बर्खास्त करने के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को "महत्वपूर्ण" बताते हुए कहा कि इसे हम जल्द ही तय करेंगे.

दरअसल, ट्रांसजेंडर शिक्षिका ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि गुजरात और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग निजी स्कूलों ने उनकी लैंगिक पहचान उजागर होने के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया. याचिका में यह भी कहा गया कि स्कूलों ने उसकी बर्खास्तगी के पीछे इस तथ्य को प्रमुख कारण बताया कि वह समय की पाबंद नहीं थी, जबकि याचिकाकर्ता की वकील ने इसे "सामाजिक कलंक" से जोड़ते हुए तर्क दिया कि शिक्षिका को उसकी लैंगिक पहचान के आधार पर तिरस्कार और भेदभाव का सामना करना पड़ा.

याचिकाकर्ता की वकील ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा कि, "यह एक गंभीर मामला है, जो दिखाता है कि कैसे एक ट्रांसजेंडर शिक्षक को सिर्फ उसकी पहचान के कारण तिरस्कृत किया जाता है." उन्होंने कहा कि स्कूल प्रशासन पहले से ही जानता था कि शिक्षिका ट्रांसवुमन हैं और वह छात्रों के साथ महिला हॉस्टल में रह रही थीं फिर भी जैसे ही यह बात सामने आई कि वह एक ट्रांसवुमन हैं, स्कूल प्रशासन ने उसे बर्खास्त कर दिया. इसके जवाब में, स्कूल प्रशासन ने यह तर्क दिया कि शिक्षिका समय की पाबंद नहीं थी, और इसलिए उसे बर्खास्त किया गया. हालांकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर उनका जवाब भी मांगा था.

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