पप्पू फरिश्ता
मस्जिदें ऐतिहासिक रूप से इस्लामीक्षा व मुस्लिम सक्तिकरण का केंद्र रही है। पैगंबर मुहम्मद ने मस्जिदों को मुख्य भौक्षिक केंद्र बनाया और उनका उपयोग धर्म, अर्थव्यवस्था और सामाजिक - संस्कृति से संबंधित मुद्दों पर चर्चा और समाधान के लिए किया। वर्तमान समय में मस्जिदें सूचना प्रोद्योगिकी और अन्य विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति और परिवर्तन के अनुकूल हो रही है और प्रगतिशील तरीके से चुनोतियों का जवाब दे रही है। दुनिया भर में, कई मस्जिदें शिक्षा का केंद्र बन गई है. भाईचारे के मूल्यों को सिखाया जा रहा है।
यह बताना महत्वपूर्ण है कि मस्जिदें भारत जैसे वंचित व पिछड़े मुस्लिम समुदाय के विकास ̈गील देशों को बदलने के लिए युग परिवर्तक के रूप में काम आ सकती है। मस्जिदों का उपयोग जीवन कौशल सिखाने के लिए किया जा सकता है, जैसे तकनीकी कौल जिसमें बढ़ईगीरी, इलेक्ट्रानिक सर्विसिंग, डिजाईनिंग व भाशा कौल आदि भामिल है । मस्जिदें, मस्जिद सहकारी समितियों के माध्यम से समुदाय को आर्थिक रूप से सक्त बना सकती है। व्यावसायिक पूंजी के माध्यम से आर्थिक सक्तिकरण प्रकोष्ठ उत्पादन सुविधा वितरण सुविधाओं की स्थापना में मदद कर सकती है। मस्जिदों को गैर- औपचारिक और समुदाय के सक्तिकरण के लिए केंद्र के रूप में उनकी भूमिका का अनुकूलन करके इस्लाम में सीखने के केंद्र के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
भारत में, अधिकां” मुसलमान गरीब व भौक्षिक रूप से, सामाजिक रूप से पिछड़े हैं। मस्जिद इनके लिए परिवर्तक / उद्धारक का काम कर सकती है। जिसके लिए रूपरेखा मस्जिद समीति द्वारा तैयार की जा सकती है, जिसमें वक्फ परिशदों सहित दान संगठनों को भामिल किया जा सकता है। मस्जिद परिसर का उपयोग सांप्रदायिक आधार पर दोनों के साथ बातचीत के लिए अस्थाई कक्षाओं के रूप में किया जा सकता है। मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी परिशर का उपयोग किया जा सकता है। यह बताना महत्वपूर्ण है कि मुसलमानों में दान, सामाजिक कल्याण व समुदाय की मदद करने की समृद्ध संस्कृति है जिसके तहत मुस्लिम सेवा करने के लिए तत्पर होते हैं। लेकिन सही प्लेटफार्म की गैर-मौजुदगी में मुश्किल हो रही है ।
भारत में कुछ मस्जिदों में गरीब व वंचित मुस्लिम छात्रों, विषेशतः प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए बेहतर सुविधाए भशुरू की है। हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन और सीड फाउंडेशन ने हैदराबाद में कुछ मस्जिदों को सामान्य क्लिनिक, कौशल विकास केंद्र व वृद्धाश्रम स्थापित करने का अधिकार दिया है। ये मस्जिदें मुसलमानों की एक महत्वपूर्ण संख्या के लिए खानपान मुहैया करा रही है। इस पहल ने विश रूप से मुस्लिम के लिए प्रक्षिन प्रदान की है। हालांकि, केंद्रीय स्तर पर एक प्रमुख भाखा और जिला व गांव स्तरों पर संबद्ध भाखाओं के साथ एक विकेंद्रीकृत प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है।
मस्जिदों द्वारा निभाई जाने वाली धार्मिक भूमिका अच्छी तरह से स्थापित है लेकिन इसके साथ आधुनिक दुनिया की बदलती परिस्थति में, आधुनिक पेशेवर व जवाबदेह संगठन का सही प्रबंधन, गरीबों व सामाजिक रूप से बहिश्कृत मुस्लिमों के लिए सेवा को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रबंधन जरूरी है। क्षा क्षेत्र को सबसे पहली प्राथमिकता देनी चाहिए। समुदाय में वास्तविक प्रभाव को महसूस कराने के लिए, इस पहल में मुस्लिम महिलाओं को प्रशिक्षित करना व उन्हें शिक्षा व कौल से सुसज्जित करना महत्वपूर्ण है। मस्जिदें सरकारी अनुदान पर निर्भरता को कम करने के लिए, निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। मस्जिदों को गैर-औपचारिक शिक्षा के रूप में इस्तेमाल का व्यापक ज्ञान है और इस्लामी ज्ञान के अलावा प्रौद्योगिकी व विज्ञान में भी सक्षम हैं। यह जीवन में कुरान व सुन्नत की समझ पर भी आधारित है।