अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग मामला, दिल्ली सरकार की याचिका पर SC आज सुनाएगा फैसला
कोर्ट ने इस मामले में 18 जनवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था. दिल्ली सरकार का तर्क रहा है कि केंद्र दरअसल उसके और संसद के बीच के अंतर को खत्म करना चाहता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि दुनिया के लिए दिल्ली को देखना यानी भारत को देखना है. उन्होंने कहा कि चूंकि ये राष्ट्रीय राजधानी है, इसलिए ये जरूरी है कि केंद्र के पास अपने प्रशासन पर विशेष अधिकार हों और अहम मुद्दों पर नियंत्रण हो.
केंद्र सरकार ने 2021 में गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) पास किया था. इसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को कुछ और अधिकार दे दिए गए थे. आम आदमी पार्टी ने इसी कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. आम आदमी पार्टी अक्सर केंद्र सरकार पर चुनी हुई सरकार के कामकाज में बाधा डालने के लिए उपराज्यपाल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाती रही है.
दिल्ली और केंद्र के बीच की ये लड़ाई आज की नहीं, बल्कि सालों से चली आ रही है. इसकी वजह ये है कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है और यहां केंद्र का नियंत्रण भी है. बीजेपी खुद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करती थी. दिल्ली पर नियंत्रण को लेकर शीला दीक्षित की भी शिकायत रहती थी, लेकिन उन्होंने कभी पुरजोर तरीके से इसकी मांग नहीं की. 2014 के चुनाव में जीत के बाद बीजेपी सांसद और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा था कि वो प्रधानमंत्री से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करेंगे.