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ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर: केस के खुलेंगे राज! आरोपी समेत 6 का पॉलीग्राफी टेस्ट हो रहा
jantaserishta.com
24 Aug 2024 7:12 AM GMT
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नई दिल्ली: आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या मामले में कुल सात लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट शुरू हो गया है. सीबीआई के कोलकाता ऑफिस में आरोपी संजय रॉय, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष, चार डॉक्टर जो वारदात की रात पीड़िता के साथ थे. साथ ही एक वालंटियर का पॉलीग्राफ टेस्ट किया जा रहा है.
सीबीआई का उद्देश्य इन कर्मचारियों के बयानों को सत्यापित करना है, क्योंकि अन्य मेडिकल रिपोर्ट (जैसे पीड़िता के शरीर से लिए गए डीएनए, वेजाइनल स्वैब, पीएम ब्लड) उन्हें स्पष्ट रूप से घटना से जोड़ने में विफल रही हैं. सीबीआई यह जानना चाहती है कि क्या इन चारों ने किसी भी प्रकार से सबूतों के साथ छेड़छाड़ की थी या वे किसी षड्यंत्र का हिस्सा थे.
कई बार आरोपी से सच उगलवाने के लिए पुलिस पॉलीग्राफ टेस्ट करवाती है, जिसमें लाई डिटेक्टर मशीन (झूठ पकड़ने वाली मशीन) के जरिए झूठ पकड़ने की कोशिश की जाती है. इसमें आरोपी के जवाब के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव के जरिए ये पता लगाया जाता है कि आरोपी सवाल का सही जवाब दे रहा है या नहीं. इस टेस्ट में आरोपी की शारीरिक गतिविधियों को अच्छे से रीड किया जाता है और उनके रिएक्शन के हिसाब से तय होता है कि जवाब सच है या गलत.
ये एक मशीन होती है, जिसके कई हिस्से होते हैं. इसमें कुछ यूनिट्स को आरोपी की बॉडी से अटैच किया जाता है. जैसे उंगलियों, सिर, मुंह पर मशीन की यूनिट्स लगाई जाती है और जब आरोपी जवाब देता है तो इन यूनिट से डेटा मिलता है, वो एक मेन मशीन में जाकर झूठ या सच का पता लगाता है. शरीर पर कनेक्ट की जाने वाली यूनिट्स में न्यूमोग्राफ, कार्डियोवास्कुलर रिकॉर्डर और गैल्वेनोमीटर होता है. साथ ही पल्स कफ हाथ पर बांधे जाते हैं और उंगलियों पर लोमब्रोसो ग्लव्स बांधे जाते हैं. इसके साथ ही मशीन से ब्लड प्रेशर, पल्स रेट आदि को भी मॉनिटर किया जाता है.
शरीर पर लगाई जाने वाली डिवाइस में न्यूमोग्राफ के जरिए प्लस रेट और सांस आदि को मॉनिटर किया जाता है. जवाब के दौरान सांस के जरिए झूठ, सच का अंदाजा लगाया जाता है. इसकी एक ट्यूब होती है, जिसे सीने के चारों तरफ बांधा जाता है. कार्डियोवास्कुलर रिकॉर्डर से दिल की धड़कन और ब्लडप्रेशर को मॉनिटर किया जाता है, क्योंकि झूठ बोलने पर इसमें असामान्य बदलाव होता है, जिससे सच का पता किया जा सकता है. साथ ही गैल्वेनोमीटर के जरिए व्यक्ति की स्किन की इलेक्ट्रिक कंडक्टिविटी को चेक किया जाता है. फिर एक रिकॉर्डिंग डिवाइस के जरिए इन डेटा को कलेक्ट किया जाता है.
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