हिंदू कैलेंडर में पंचांग एक अनिवार्य हिस्सा है। ये पांच अंगों से मिलकर बनता है, इसलिए इसे पंचांग कहते हैं। ये पांच अंग हैं- तिथि, नक्षत्र, वार योग और करण। पंचांग में प्रत्येक दिन की तिथि व ग्रहों-नक्षत्रों की जानकारी आसानी से मिल जाती है। दिन भर के शुभ मुहूर्त व राहुकाल का समय भी इसके माध्यम से जाना जा सकता है। पंचांग को वैदिक काल का कैलेंडर भी कह सकते हैं। आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…
गुरु प्रदोष और ओणम पर्व आज
8 सितंबर, गुरूवार को भाद्रपद मास की त्रयोदशी तिथि होने से इस दिन गुरु प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। धर्म ग्रंथों में इस व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन दक्षिण भारत में ओणम पर्व भी मनाया जाएगा। ये उत्सव राजा बलि के पृथ्वी पर आने की खुशी में मनाया जाता है। राजा बलि सुतल लोक के राजा है जो अपनी प्रजा का हाल जानने साल में एक बार पृथ्वी पर आते हैं।
8 सितंबर का पंचांग (Aaj Ka Panchang 8 september 2022)
8 सितंबर 2022, दिन गुरुवार को भाद्रमास मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि दिन भर रहेगी। इस दिन गुरु प्रदोष व्रत किया जाएगा, साथ ही ओणम उत्सव भी मनाया जाएगा। गुरुवार को श्रवण नक्षत्र दोपहर 01.46 तक रहेगा। इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। गुरुवार को पहले श्रवण नक्षत्र होने से ध्वज और धनिष्ठा नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम के 2 शुभ योग बनेंगे। इसके अलावा अतिगण्ड और सुकर्मा नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। राहुकाल दोपहर 01:56 से 03:29 तक रहेगा।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
गुरुवार की रात चंद्रमा मकर राशि से निकलकर कुंभ में प्रवेश करेगा। इस दिन शुक्र और सूर्य सिंह राशि में, बुध कन्या राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दही या जीरा मुंह में डाल कर निकलें।
8 सितंबर के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- भादौ
पक्ष- शुक्ल
दिन- गुरुवार
ऋतु- वर्षा
नक्षत्र- श्रवण और धनिष्ठा
करण- कौलव और तैतिल
सूर्योदय - 6:15 AM
सूर्यास्त - 6:34 PM
चन्द्रोदय - Sep 08 5:28 PM
चन्द्रास्त - Sep 09 4:46 AM
अभिजीत मुहूर्त: 11:59 AM से 12:49 PM
8 सितंबर का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 6:14 AM – 7:47 AM
कुलिक - 9:19 AM – 10:52 AM
दुर्मुहूर्त - 10:21 AM – 11:10 AM, 03:17 PM – 04:06 PM
वर्ज्यम् - 05:24 PM – 06:51 PM
सप्तमी तिथि के स्वामी हैं सूर्यदेव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कृष्ण और शुक्ल पक्ष मिलाकर कुल 16 तिथियां होती हैं। इनमें से 1 से लेकर 14 तक की तिथियां समान होती हैं। इनमें से सातवीं तिथि को सप्तमी कहते हैं। इस तिथि के स्वामी भगवान सूर्यदेव हैं। जब भी रविवार को सप्तमी तिथि का योग बनता है तो रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। सप्तमी तिथि पर सूर्यदेव की पूजा करने से हर तरह की परेशानी दूर हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य दोष हो तो उसे सप्तमी तिथि पर सूर्यदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए।