भारत
आज सुप्रीम कोर्ट इसरो जासूसी मामले में केंद्र की अर्जी पर करेगा विचार, बरी हो चुके हैं पूर्व वैज्ञानिक नारायणन
Apurva Srivastav
15 April 2021 1:32 AM GMT
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जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ केंद्र की अर्जी और शीर्ष कोर्ट के न्यायाधीश (अवकाश प्राप्त) डीके जैन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट पर विचार करेगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तत्कालीन वैज्ञानिक नंबी नारायणन से जुड़े 1994 के जासूसी मामले में गलती करने वाले पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर उच्च-स्तरीय समिति की रिपोर्ट पर विचार करने संबंधी केंद्र की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। इस जासूसी मामले में वैज्ञानिक नारायणन बरी हो चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट केंद्र की अर्जी और समिति की रिपोर्ट पर विचार करेगी
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ केंद्र की अर्जी और शीर्ष कोर्ट के न्यायाधीश (अवकाश प्राप्त) डीके जैन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट पर विचार करेगी। केंद्र ने पांच अप्रैल को कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मामले को 'राष्ट्रीय मुद्दा' बताते हुए समिति की रिपोर्ट पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया था।
कोर्ट ने केरल सरकार से मुआवजे के रूप में वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये देने का निर्देश दिया था
कोर्ट ने 14 सितंबर, 2018 को समिति गठित करते हुए केरल सरकार से मुआवजे के रूप में वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये देने का निर्देश दिया था क्योंकि उन्हें (नारायणन) बहुत 'अपमान' का सामना करना पड़ा था। अदालत ने उन अधिकारियों के खिलाफ उचित कदम उठाने का निर्देश दिया था जिनके कारण नारायणन को उत्पीड़न और बेइज्जती का सामना करना था। अदालत ने केंद्र और केरल सरकार से पैनल में एक-एक सदस्य नियुक्त करने को भी कहा था।
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क्या है मामला
1994 में अखबारों की सुर्खियों में रहे जासूसी के मामले में आरोप था कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े कुछ गोपनीय दस्तावेजों को दो वैज्ञानिकों और मालदीव की दो महिलाओं सहित चार अन्य ने दूसरे देशों को भेजा है। इस मामले में वैज्ञानिक नारायणन को गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त केरल में कांग्रेस की सरकार थी। वहीं, सीबीआइ ने अपनी जांच में कहा था कि 1994 में केरल पुलिस के शीर्ष अधिकारी नारायणन की गैरकानूनी गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार थे।
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