रो रही हैं आज सड़कें, दुर्दशा के हाल पर, है करारा सा तमाचा भारती के गाल पर
ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि सड़क पर राजनीति आ गई है या राजनीति पर सड़क आ गई है। जिन लोगों को सड़क के लोगों की कोई चिंता नहीं वो भी सड़क को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की बौछार करने सड़क पर उतर गए है। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमनसिंह ने सड़क की दुर्दशा पर आंसू बहाते हुए सड़क की दुर्दशा का कारण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर थोप कर चार साल के कार्यकाल में हुए अनदेखी और रखरखाव नहीं होने का आरोप लगाया है। वहीं सीएम भूपेश ने पलटवार करते हुए कहा कि डा. रमनसिंह 15 साल राज करने के दौरान भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर सड़क के नाम पर डामर पोतने का काम किया। सड़क बनाने में भ्रष्टारियों को टेंडर देकर मात्र अपने करीबियों को उपकृत रहे जिसके कारण अरबों रुपए की सड़क पांच साल भी नहीं चल सकी। पीएम ग्राम सड़क योजना से लेकर सीएम सड़क योजना में करोड़ों रूपए की गड़बडिय़ों का काला चिट्ठा विभाग में रमनसिंह और उनके खास के नाम पर आंसू बहा रहा है। जनता में खुसुर-फुसर है कि दोनों पार्टी सड़़क के लिए आसन्न चुनाव को लेकर एक दूसरे पर गरिया रहे है। ताकि महंगाई को भूलकर जनता उनको पाक-साफ का सर्टिफिकेट दे दे। किसी ने ठीक ही कहा है कि रो रही है आज सड़कें, दुर्दशा के हाल पर, है करारा सा तमाचा भारती के गाल पर ।
बस स्टैंड-रेलवे स्टेशन तस्करी का मुख्य अड्डा
उड़ीसा से गांजा आने का सिलसिला पुलिस की सख्ती के बाद भी जारी है। तस्करों का गिरोह कार-ट्रेन के रास्ते बड़े आसानी से राजधानी में गंजा पहुंचाने में कामयाब हो रहे है। बसों से टैक्स चोरी के माल के साथ गांजा की तस्करी पार्सल के पैकेट में हो रहे है। पुलिस देर रात चलने वाले सभी पार्सलों की सघनता से जांच करें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। जनता में खुसुर-फुसर है कि छुटभैया नेताओं के संरक्षण में तस्कर गांजा की तस्करी कर रहे है। पहले तो प्रशासन को राजनीति से जुड़े संरक्षित नेताओं की गतिविधियों पर लगातार निगरानी करे तो किसी भी प्रकार की तस्करी अपने आप बंद हो जाएगी। मामूली धाराओं पर छूटने वाले आरोपियों पर नान बेलेबल धाराएं लगाई जाए, जिससे आरोपी को सजा मिल सके। जिससे कानून की ताकत का अंदाजा लग सके।
अब राम माधव को भी पढ़ लीजिए
राम माधव ने अपनी किताब पार्टिशंड फ्रीडम के विमोचन अवसर पर कहा कि भारत के विभाजन में करीब तीन लाख लोगों की मौत हुई थी। लोग रातों-रात अपने ही देश में पराये हो गए थे। एक विभाजन 1905 में बंगाल का करने की कोशिश ब्रिटिश ने की थी और दूसरा विभाजन भारत और पाकिस्तान के रूप में हुआ। उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन तर्कहीन था और यह जल्दबाजी में लिया गया निर्णय था। इससे महात्मा गांधी के सपने बिखर गए, जो राष्ट्र को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने के खिलाफ थे। महात्मा गांधी ने कहा था कि मैं तो भाई-भाई संपत्ति का बंटवारा करने का विरोधी नहीं हूं। मगर भारत माता हमारी मां है। मां को विभाजित करने पर सहमत नहीं हूं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि काश राम माधव की किताब आजादी से पहले आ जाती तो विभाजन के दंश देश को नहीं झेलना पड़ता। अब तो बहुत देर हो चुकी है। पर संघ प्रमुख इस दिशा में आगे बढ़ गए हैं। उनका अनुसरण करने की जरूरत है।
पुराने रायपुर की तो सुध लो साहेब...
नवा रायपुर पूरी तरह से स्मार्ट सिटी में बदलने वाली है, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 24 घंटे पानी, बिजली की सुविधा के साथ दावा किया जा रहा है कि वहां के हर घर में एलपीजी की सप्लाई भी पाइपलाइन से होगी। इसके लिए भी योजना की तैयारी की जा रही है। नवा रायपुर की लगभग सभी सड़कें सिक्सलेन हैं। यानी आने वाले कई साल तक यहां ट्रैफिक की समस्या नहीं रहेगी। नवा रायपुर की सुरक्षा के लिए सभी जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम भी पूरा हो गया है। यहां जल्द ही स्मार्ट सिटी के तहत हाईटेक कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा। इस रूम से नवा रायपुर के हर एक एरिया में कैमरों से नजर रखी जाएगी। यानी एक ही शहर के दायरे में दो स्थानों को स्मार्ट सिटी में कनवर्ट किया जा रहा है। जनता में खुसुर-फुसर है कि पहले पुराने रायपुर की तो कायाकल्प कर दें जिससे लोगों को सड़क पर चलने के साथ सुरक्षित जीवन जीने पानी शुद्ध मिल सके।
रोड सेफ्टी रहा बेअसर
रोड सेफ्टी के नाम से चल रहे वल्र्ड सीरीज में का असर राजधानी में बेअसर साबित हुआ। मैच के दूसरे दिन मैच देखकर आ रहे बाइक में सवार तीन युवकों को ट्रक ने चपेट में ले लिया जिसमें दो युवकों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। वहीं उसी दिन एक अन्य फैक्ट्री गार्ड को सड़क पार करने के दौरान ट्रक ने चपेट में ले लिया जिससे उसकी मौत हो गई। ऐसा लगता है कि क्रिकेट की दिवानगी को लेकर लोगों में अवेरनेस लाने के लिए वल्र्ड सारीज जो रोड सेफ्टी पर केंद्रीत होने के बाद भी वाहन चालकों में अवेरनेस नहीं होना इस बात का प्रमाण है कि रोड सेफ्टी के आयोजकों ने प्रचार-प्रसार में कोताही बरती, जिसके कारण उनका रोड सेफ्टी का संदेश लोगों के दिलों में जगह नहीं बना पाया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि आम जनता के साथ वाहन चालकों को रोड सेफ्टी मैच दिखाना था, जिससे वाहन चलाते समय सावधानी बरतने के लिए प्रेरित हो। आयोजकों ने वाहवाही लुटने के लिए दो दिन मैच फ्री कर भीड़ बढ़ाने की कोशिश की,भीड़ तो बढ़ी लेकिन लोगों में रोड सेफ्टी के प्रति जो जागरूकता आनी चाहिए थी वह नहीं आई। जिसका परिणाम है कि मैच देख आ रहे तीन युवकों में से दो की मौत हो गई और एक मौत से लड़ रहा है।