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आज पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती, सोनिया गांधी ने शक्ति स्थल जाकर श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

jantaserishta.com
19 Nov 2021 2:53 AM GMT
आज पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती, सोनिया गांधी ने शक्ति स्थल जाकर श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो
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नई दिल्ली: आज पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती है कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने शक्ति स्थल जाकर उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की

जब भी भारत के इतिहास की सबसे सशक्त महिलाओं को याद किया जाएगा, इसमें इंदिरा गांधी का नाम जरूर शामिल होगा। इंदिरा गांधी वैसे तो राजनीति से जुड़ी एक महिला हैं, लेकिन उनके कामों, फैसलों ने उन्हें मात्र एक महिला नहीं रहने दिया, बल्कि भारत की लौह महिला बनी दिया। 19 नवंबर को इंदिरा गांधी की जयंती होती है। साल 1917 में इस दिन जवाहर लाल नेहरू के घर एक बेटी का जन्म हुआ जो आजाद भारत की सबसे सशक्त महिला बन गई। इंदिरा गांधी आजाद भारत के इतिहास की इकलौती महिला हैं जो प्रधानमंत्री बनीं। उनके बाद से आजतक कभी भी किसी महिला को इस पद पर आने का मौका नहीं मिला। इंदिरा गांधी न केवल प्रधानमंत्री बनी बल्कि उन्होंने ऐसे दमदार फैसले लिए जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके फैसलों पर सवाल उठे। विरोध हुआ, सत्ता तक चली गई लेकिन इंदिरा टस से मस नहीं हुईं। चलिए जानते हैं भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी के 5 फैसलों के बारे में।





बैंकों का राष्ट्रीयकरण
आज बैंकों का विलय हो रहा है लेकिन आजाद भारत में काफी कम बैंक थें। 1966 में देश में केवल 500 बैंक शाखाएं थीं। आबादी ज्यादा और बैंकों की संख्या कम होने के कारण सिर्फ अमीर वर्ग ही इसका लाभ ले पाता था लेकिन इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता के दौरान बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया। आम आदमी ने भी बैंक में पैसा जमा करना शुरू किया। उस दौर में इंदिरा के फैसले की आलोचना की गई। इसे सत्ता की मनमानी बताई गई लेकिन आज लगभग हर शख्स का बैंक अकाउंट है।
कांग्रेस का विभाजन करना
इंदिरा गांधी को जब प्रधानमंत्री बनाया गया तो कांग्रेस के नेता उन्हें एक मूक गुड़िया की तरह समझते थे। लेकिन इंदिरा के सत्ता में आते ही वह समझ गए कि इस महिला को रोक पाना उनके बस की बात नहीं। कांग्रेस सिंडिकेट इंदिरा को पद से हटाने की तैयारी करने लगे लेकिन इंदिरा ने उल्टा ही दांव खेला और वाम पार्टियों के उम्मीदवार वीवी गिरी को समर्थन देते हुए कांग्रेस के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी को ही हरा दिया। सिंडिकेट ने इंदिरा को पार्टी से निष्कासित कर दिया तो इंदिरा ने पार्टी का विभाजन कर दिया। इंदिरा का ये फैसला भी राजनीति के दौर का सबसे दबंग और हिटलरशाही फैसला बन गया।
पाकिस्तान से जंग और बांग्लादेश का जन्म
भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान की कब्जा नीति शुरू हो गई थी। जिसके कारण बड़ी संख्या में बंगाली शरणार्थी भारत आने लगे। इंदिरा ने पाकिस्तान को चेतावनी दी। अमेरिका उस समय पाकिस्तान का समर्थन कर रहा था लेकिन इंदिरा को न जो पाकिस्तान का डर था और न अमेरिका का। उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान पर हमला करके उस इलाके को आजाद कराया और बांग्लादेश का निर्माण कराया। अमेरिका भी इंदिरा के इस दबदबे के सामने मूक बन गया।
आपातकाल
इंदिरा के शासन के दौरान आपातकाल का फैसला सबसे बड़ा और विवादास्पद रहा। साल 1971 में उनके खिलाफ जब चुनावों में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगा तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 1975 के लोकसभा चुनाव को रद्द कर दिया। साथ ही इंदिरा पर 6 साल चुनाव लड़के लिए बैन कर दिया। विपक्ष ने मौके का फायदा उठाते हुए इंदिरा से इस्तीफा मांगा। धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके विपरीत इंदिरा ने आपातकाल की घोषणा कर दी। प्रेस की आजादी पर रोक लग गई। कई बड़े फेरबदल हुए। इससे नाराज जनता ने उन्हें 1977 के चुनाव में हरा दिया।
ऑपरेशन ब्लू स्टार
इंदिरा गांधी का एक और फैसला आज तक पूरा देश याद करता है, वह है ऑपरेशन ब्लू स्टार। उस दौर में पंजाब से खालिस्तान की मांग उठी। जनरैल सिंह भिंडरावाला खालिस्तान नेता बने। खालिस्तान समर्थकों ने स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बनाया। यहां सिख आतंकी आने लगे। इंदिरा गांधी ने भिंडरावाला की गिरफ्तारी का आदेश दिया। जिसके बाद सेना ने 1984 में एक ऑपरेशन चलाते हुए भिंडरावाला को मार गिराया। सेना के इस ऑपरेशन में स्वर्ण मंदिर को काफी नुकसान हुआ। सैकड़ों जाने गईं। सिख समुदाय आहत हुआ। इंदिरा की हत्या की भी यही वजह बनी, जब उनके ही सिख सुरक्षाबलों ने इंदिरा की हत्या कर दी।
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