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आज है मनोहर पर्रिकर की जयंती, पढ़े दिलचस्प किस्सा जिसके बाद लोगों के दिलों पर छाए
jantaserishta.com
13 Dec 2020 5:31 AM GMT
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फाइल फोटो
मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) 2 वजहों से गोवावासियों के दिलों में बस गए थे. एक तो कांग्रेस की सरकारों के दौरान उन्होंने जमकर एंटी करप्शन क्रूसेडर का रोल निभाया और दूसरी वजह मनोहर पर्रिकर की खुद की इमेज ऐसी थी कि ये व्यक्ति तो करप्शन कर ही नहीं सकता.
नई दिल्ली: देश में गिनती के कुछ नेता हैं, जिनके ऊपर ना जिंदा रहते और ना ही मरने के बाद भ्रष्टाचार या चरित्र से संबंधित कोई दाग लग पाया. सोचिए वो कितना संयमित और सादा जीवन बिताते होंगे. आज एक ऐसे ही नेता की जयंती है, नाम है मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar), गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के पूर्व रक्षा मंत्री. आज मनोहर पर्रिकर की जयंती (Manohar Parrikar Birth Anniversary) पर जानिए, उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प, अनसुनी कहानियां.
मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) के साथ कई सारे फर्स्ट जुड़े हैं. कई काम मनोहर पर्रिकर के हिस्से में ऐसे आए, जो उनसे पहले किसी ने नहीं किए होंगे. मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिनके पास आईआईटी की डिग्री थी. उन्होंने देश के सबसे प्रतिष्ठित आईआईटी संस्थान मुंबई आईआईटी से बीटेक की डिग्री ली थी. हालांकि बाद में आईआईटियन केजरीवाल भी दिल्ली के सीएम बने, लेकिन मनोहर पर्रिकर हमेशा पहले के तौर पर याद किए जाते रहेंगे. मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) के पहले गोवा से केंद्र की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी नहीं बना था, वो ऐसे पहले गोवानी नेता थे, जो मोदी सरकार की कैबिनेट में शामिल होकर रक्षा मंत्री के पद पर रहे. मनोहर पर्रिकर पहले ऐसे सीएम भी थे, जो कैंसर का पता लगने के बावजूद एक साल से ज्यादा समय तक पद पर रहे. सबसे दिलचस्प बात ये भी है कि पीएम पद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का समर्थन करने वालों में वो बीजेपी के पहले सीएम थे.
अमरीश पुरी की मौत के बाद जब ऑटोबायोग्राफी रिलीज हुई तब लोगों को पता चला कि अमरीश पुरी के जीवन में इतना अनुशासन कहां से आया था, खुद उन्होंने इसका क्रेडिट आरएसएस को दिया था. दिल्ली में रहने के वक्त अमरीश पुरी आरएसएस की दिल्ली की एक शाखा के 'मुख्य शिक्षक' रहे थे, ऐसा उनके परिवार ने भी उनकी मौत के बाद मीडिया में बताया था. गोवा में स्कूल में पढ़ने के दौरान अमरीश पुरी की तरह ही बेहद कम उम्र में मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) एक आरएसएस प्रचारक डी. नादकर्णी के संपर्क में आए थे और उनको बहुत जल्द मुख्य शिक्षक भी बना दिया गया था. दिलचस्प बात ये है कि अमरीश पुरी की ही तरह मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) की किस्मत भी उन्हें मुंबई खींच लाई, आईआईटी में पढ़ने के लिए. लेकिन वामपंथियों से भरी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अमरीश पुरी ने आरएसएस का कनेक्शन बूढ़े होने तक छिपाए रखा, पहली बार वो सार्वजनिक तौर पर कश्मीर में लाल कृष्ण आडवाणी के साथ एक कार्यक्रम में देखे गए थे, लेकिन पर्रिकर आईआईटी में भी संघ का काम देखते थे. बाद में गोवा में भी कई साल तक बीजेपी में भेजे जाने से पहले मनोहर पर्रिकर संघ का ही काम अपने बिजनेस के साथ करते रहे.
दिल्ली में एक दौर ऐसा आया था, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के बाद लाल कृष्ण आडवाणी के चारों तरफ ऐसी चौकड़ी जमा हो गई थी, जिससे बीजेपी के कई दिग्गज नेता परेशान थे. उनके करीबी लोगों में ना केवल बीजेपी के ही नेता थे, बल्कि सुधींद्र कुलकर्णी जैसे स्वतंत्र सलाहकार भी थे. ऐसे में पर्रिकर जैसे नेताओं को 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार से काफी सदमा लगा था. तब मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) ने एक ऐसा बयान दे दिया था, जो आडवाणी के खिलाफ था. इससे लोग काफी हैरान हुए थे कि उनके जैसे वरिष्ठ नेता के बारे में कोई ऐसा कैसे कह सकता है, वो भी पार्टी के अंदर का नेता. लेकिन मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) की छवि बेदाग थी, इसलिए उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया था. दरअसल उन्होंने आडवाणी को 'सड़ा हुआ अचार' बोल दिया था. वो चाहते थे कि आडवाणी युग समाप्त होना चाहिए और नरेंद्र मोदी जैसे नेता को मौका मिलना चाहिए.
मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) विवादित बयानों और खरी बात कहने के लिए मशहूर थे, आपको ध्यान होगा जब आमिर खान ने एक कार्यक्रम में कहा था कि देश के हालात ऐसे हो गए हैं कि मेरी बीवी किरण राव ने एक बार मुझसे कहा कि भारत में रहने में डर लगने लगा है. तब बीजेपी और संघ के तमाम नेताओं के अलावा समाज के अलग-अलग तबकों में आमिर खान के खिलाफ काफी कुछ कहा गया था. लेकिन मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) ने जो बयान दिया था, उस वक्त तक गोवा के अलावा बाकी देश के लोगों के लिए ये बेहद चौंकाने वाला था. मनोहर पर्रिकर ने उस वक्त आमिर खान के लिए कहा था, 'एक अभिनेता ने कहा है कि उनकी पत्नी भारत से बाहर जाना चाहती है, ये घमंड से भरा बयान है. ऐसे लोग जो देश के खिलाफ बोलते हैं, उन्हें इस देश के लोगों द्वारा सबक सिखाने की जरुरत है.'
शाहरुख खान अक्सर सोचने के काम टॉयलेट में ही करते हैं, तमाम क्रिएटिव आइडियाज उनको टॉयलेट में ही आते हैं. उसी तरह मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) को भी किताबें टॉयलेट में पढ़ने की आदत थी. उनका मानना था कि वहां आपको कोई डिस्टर्ब नहीं करता, इसलिए वहां पढ़ने में ज्यादा मन लगता है. एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में उन्होंने अपनी इस सीक्रेट हैबिट का खुलासा किया था. सिर्फ यही बताते तो कोई बात नहीं थी, लेकिन उन्होंने कह डाला था कि इन दिनों मैं महाभारत पर आधारित एक किताब पढ़ रहा हूं. फिर क्या था, अगले दिन के अखबारों में उनका ये बयान फ्रंट पेज पर टॉप पर था. एक तो वो संघ की पृष्ठभूमि से आए थे, जहां सनातन धर्म से जुड़े किसी भी प्रतीक के बारे में असम्मानजनक ढंग से टिप्पणी नहीं की जाती है, दूसरे वह खुद एक जिम्मेदार पद पर थे. सो हंगामा होना ही था, लेकिन पर्रिकर को लेकर संघ और बीजेपी के नेताओं व गोवा की मीडिया में एक बात साफ थी कि उनके मन में दुर्भावना जैसा कुछ भी नहीं रहता था और भारतीय संस्कृति के बारे में तो कतई नहीं. सो लोगों ने इस मुद्दे को ज्यादा तवज्जो नहीं दी क्योंकि सबको उनकी मंशा समझ आ रही थी.
मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) 2 वजहों से गोवावासियों के दिलों में बस गए थे. एक तो कांग्रेस की सरकारों के दौरान उन्होंने जमकर एंटी करप्शन क्रूसेडर का रोल निभाया, कई घोटालों का पर्दाफाश किया और उनके लिए आंदोलन किया. मनोहर पर्रिकर की खुद की इमेज ऐसी थी कि ये व्यक्ति तो करप्शन कर ही नहीं सकता. चप्पल और स्कूटर वाले सीएम की उनकी छवि लोगों के दिलों में बस गई थी. दिल्ली के सीएम केजरीवाल और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो काफी बाद में ऐसी पॉपुलिस्ट स्कीमें लॉन्च कीं, जो मनोहर पर्रिकर काफी पहले कर चुके थे. मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) की सरकार में 'साइबर एज' योजना के तहत 10वीं में पढ़ने वाले हर छात्र-छात्रा को केवल 1000 रुपये में कंप्यूटर उपहार में दिया जाता था. 'लाडली लक्ष्मी' योजना के तहत हर बेटी की शादी में सरकार की तरफ से 1 लाख रुपये दिए जाते थे. महंगाई से निपटने की या महंगाई से राहत देने की किसी योजना के बारे में आपने नहीं सुना होगा, लेकिन 'गृह आधार' योजना के तहत पर्रिकर सरकार में हर गृहणी को 1000 रुपये प्रति महीना दिया जाता था.
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