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खुद को जिंदा साबित करने के लिए बुजुर्ग काट रहे दफ्तरों के चक्कर, सरकारी कागजों में है मृत घोष‍ित, पढ़े पूरा मामला

jantaserishta.com
16 April 2022 10:45 AM GMT
खुद को जिंदा साबित करने के लिए बुजुर्ग काट रहे  दफ्तरों के चक्कर, सरकारी कागजों में है मृत घोष‍ित, पढ़े पूरा मामला
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औरैया: साहब, हम जिंदा हैं, इन शब्दों को कहते हुए दफ्तर में चक्कर काट रहे चार बुजुर्गों को दो साल बीत चुके है लेकिन अभी तक अपने आप को जिंदा साबित नही कर सके. सरकारी कागजों में मृत घोषित हो चुके इन बुजुर्गों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा. गौरतलब है कि अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काट रहे चार बुजुर्ग उत्तर प्रदेश के औऱया जिले के ग्राम पंचायत कोठीपुर के रहने वाले है. इन बुजुर्गों ने साल 2020 में वृद्ध पेंशन के लिए सत्यापन कराया था लेकिन राजस्व के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते गलत सत्यापन कर चारों को मृत घोषित दिखा दिया गया. अब राजस्व कर्मचारियों की एक गलती से चारो बुजुर्गों की वृद्धा पेंशन नही मिल पा रही है.

भाग्यनगर ब्लाक के गांव कोठीपुर के रहने वाले चार बुजुर्ग वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ पाने के लिए खुद को जिंदा साबित करने में लगे हैं. इसके जिम्मेदार कोई और नही बल्कि राजस्व कर्मी हैं जिन्होंने गलत सत्यापन कर चारों को कागजों पर मृत बता दिया गया. जिस कारण से साल 2020 से सरकारी लाभ नही ले पा रहे हैं. अब ये चारों बुजुर्ग प्रशासन से न्याय की गुहार लगाते हुए पेंशन शुरू करने की मांग कर रहे है.
शासन के इतने सख्त होने के बावजूद भी सरकारी तंत्र अपने काम में ईमानदार नहीं दिख रहा है. इसकी एक तस्वीर वृद्धावस्था पेंशन योजना में देखने को मिली. ग्राम पंचायत कोठीपुर में चार वृद्ध ऐसे मिले हैं, जिन्हें राजस्व ने मरा हुआ घोषित कर दिया और उनकी पेंशन को साल 2020 में ही रोक दिया गया है. सुविधा न मिलने पर पीड़िताें ने प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार शिकायत की कहा कि उन्हें जीते जी मार दिया गया है. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन अधिकारी जांच का हवाला देकर जिले में अपने कार्यभार पूरा होने का इंतज़ार करते है. न जाने ऐसे कितने बुजुर्ग हैं जो इन लापरवाह बने कर्मचारियों की वजह से परेशानी का सामना करते है और सरकारी लाभ को नही ले पाते है.
कोठीपुर गांव के रहने वाले चारों बुजुर्गों से जब बात हुई तो उन्होंने अपनी परेशानी बताई. 85 वर्षीय विधवा सावित्री देवी का कहना है कि दो साल पहले तक वृद्धावस्था पेंशन मिल रही थी, जो 2020 में अचानक मिलना बंद हो गई. जानकारी करने पर पता चला कि उन्हें मृत घोषित कर दिया. जब इसकी शिकायत अधिकारियों से की तो हमेशा जांच का हवाला दे कर वापस कर दिया जाता है और दफ्तरों के इधर से उधर चक्कर काटते रहते हैं. वही 84 वर्षीय राम सेवक की बात में भी यही दर्द झलका वह भी पिछले दो साल से पेंशन न आने का कारण जानने के लिए मुख्यालय के चक्कर काटकर थक गए और अभी भी अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर ही काट रहे है सत्यापन में की गई गलती को सुधारा नही जा सका है. जिस कारण परेशानी बनी है. वहीं 80 वर्षीय राम देवी व 81 वर्षीय सुखराम अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए इसी परेशानी का सामना कर रहे हैं. दोनों के जिंदा होने के बावजूद उन्हें मृत बताते हुए पेंशन रोक दी गई कई बार शिकायत की लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी।
इस मामले को लेकर ग्राम प्रधान का कहना है मेरे गांव मे कुछ लोगो की पेशन रोक दी गई जिसको लेकर मेने 1076 पर भी शिकायत की है वहा से आश्वासन मिला है की समाज कल्याण में फिर से फार्म भरवाकर भेज दीजिए जिसे हमने भरवाकर भेज दिया है. वहीं इस मामले को लेकर विडीओ से बात की तो बताया की इस मामले की जांच कराई जाएगी. अगर जीवित को मृत घोषित किया गया उसको लेकर भी कार्यवाही की जाएगी. बहराल अधिकारियों का फिर से एक वहीं जवाब है कि जांच कर कार्यवाही की जाएगी. ऐसे में सवाल उठता है कि दो साल बीत जाने के बाद और लगातार शिकायत के बाद भी अभी तक अधिकारियों की जांच पूरी नही हुई? हालांकि मामला गंभीर है जिसे लेकर अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. इस मामले में कोई भी उच्चधिकारी नही बोल रहा है. गलती किस की है यह भी अभी तक कोई भी अधिकारी नही बता पा रहा है.


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