भारत

अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए SBI जैसे 4-5 बैंकों की जरूरत, निर्मला सीतारमण ने कही यह बात

Kunti Dhruw
26 Sep 2021 6:17 PM GMT
अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए SBI जैसे 4-5 बैंकों की जरूरत, निर्मला सीतारमण ने कही यह बात
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रविवार को कहा कि भारत को अर्थव्यवस्था और उद्योग की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए 4-5 ‘एसबीआई जैसे आकार वाले’ बैंकों की जरूरत है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रविवार को कहा कि भारत को अर्थव्यवस्था और उद्योग की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए 4-5 'एसबीआई जैसे आकार वाले' बैंकों की जरूरत है. उन्होंने भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की 74वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि उद्योग को यह सोचने की जरूरत है कि भारतीय बैंकिंग को तत्काल और दीर्घकालिक अवधि में कैसा होना चाहिए.

बैंकिंग के टिकाऊ भविष्य के लिए डिजिटल सिस्टम की जरूरत
वित्त मंत्री ने कहा कि जहां तक ​​दीर्घकालिक भविष्य का सवाल है, तो यह क्षेत्र काफी हद तक डिजीटल प्रक्रियाओं द्वारा संचालित होने जा रहा है और भारतीय बैंकिंग उद्योग के टिकाऊ भविष्य के लिए परस्पर संबंद्ध डिजिटल प्रणाली की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए हमें अधिक संख्या में बैंकों की जरूरत ही नहीं, बल्कि बड़े बैंकों की भी जरूरत है.

कम से कम 4 SBI जैसे बैंकों की जरूरत
वित्त मंत्री ने कहा, '''भारत को कम से कम चार एसबीआई के आकार के बैंकों की जरूरत है… हमें बदलती और बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकिंग को बढ़ावा देने की जरूरत है. महामारी से पहले भी इस बारे में सोचा गया था. अब, इस देश में हमें चार या पांच एसबीआई की जरूरत होगी.''

यूपीआई को मजबूत करने पर जोर
उन्होंने यूपीआई को मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा, ''आज भुगतान की दुनिया में, भारतीय यूपीआई ने वास्तव में बहुत बड़ी छाप छोड़ी है. हमारा रुपे कार्ड जो विदेशी कार्ड की तरह ग्लैमरस नहीं था, अब दुनिया के कई अलग-अलग हिस्सों में स्वीकार किया जाता है, जो भारत के भविष्य के डिजिटल भुगतान के इरादों का प्रतीक है.'' उन्होंने बैंकरों से यूपीआई को महत्व देने और इसे मजबूत करने की अपील की.

देश के कई जिलों में बैंकिंग सुविधाओं की कमी
रविवार को इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) की 74वीं वार्षिक आमसभा को संबोधित करते हुए कहा कि इन जिलों में आर्थिक गतिविधियों का स्तर काफी ऊंचा है, लेकिन बैंकिंग उपस्थिति काफी कम है. उन्होंने बैंकों से कहा कि उनके पास विकल्प है कि वे या तो ऐसे जिलों में गली-मोहल्ले के मॉडल के अनुरूप पूर्ण रूप से शाखा खोल सकते हैं या फिर कोई 'आउटपोस्ट' बना सकते हैं जहां लोगों की बैंकिंग जरूरतों को पूरा किया जा सके. उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि कैसे ऊंची आर्थिक गतिविधियों वाले क्षेत्रों में बैंक नहीं पहुंचे हैं.aवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रविवार को कहा कि भारत को अर्थव्यवस्था और उद्योग की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए 4-5 'एसबीआई जैसे आकार वाले' बैंकों की जरूरत है. उन्होंने भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की 74वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि उद्योग को यह सोचने की जरूरत है कि भारतीय बैंकिंग को तत्काल और दीर्घकालिक अवधि में कैसा होना चाहिए.

बैंकिंग के टिकाऊ भविष्य के लिए डिजिटल सिस्टम की जरूरत
वित्त मंत्री ने कहा कि जहां तक ​​दीर्घकालिक भविष्य का सवाल है, तो यह क्षेत्र काफी हद तक डिजीटल प्रक्रियाओं द्वारा संचालित होने जा रहा है और भारतीय बैंकिंग उद्योग के टिकाऊ भविष्य के लिए परस्पर संबंद्ध डिजिटल प्रणाली की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए हमें अधिक संख्या में बैंकों की जरूरत ही नहीं, बल्कि बड़े बैंकों की भी जरूरत है.


कम से कम 4 SBI जैसे बैंकों की जरूरत
वित्त मंत्री ने कहा, '''भारत को कम से कम चार एसबीआई के आकार के बैंकों की जरूरत है… हमें बदलती और बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकिंग को बढ़ावा देने की जरूरत है. महामारी से पहले भी इस बारे में सोचा गया था. अब, इस देश में हमें चार या पांच एसबीआई की जरूरत होगी.''

यूपीआई को मजबूत करने पर जोर
उन्होंने यूपीआई को मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा, ''आज भुगतान की दुनिया में, भारतीय यूपीआई ने वास्तव में बहुत बड़ी छाप छोड़ी है. हमारा रुपे कार्ड जो विदेशी कार्ड की तरह ग्लैमरस नहीं था, अब दुनिया के कई अलग-अलग हिस्सों में स्वीकार किया जाता है, जो भारत के भविष्य के डिजिटल भुगतान के इरादों का प्रतीक है.'' उन्होंने बैंकरों से यूपीआई को महत्व देने और इसे मजबूत करने की अपील की.

देश के कई जिलों में बैंकिंग सुविधाओं की कमी
रविवार को इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) की 74वीं वार्षिक आमसभा को संबोधित करते हुए कहा कि इन जिलों में आर्थिक गतिविधियों का स्तर काफी ऊंचा है, लेकिन बैंकिंग उपस्थिति काफी कम है. उन्होंने बैंकों से कहा कि उनके पास विकल्प है कि वे या तो ऐसे जिलों में गली-मोहल्ले के मॉडल के अनुरूप पूर्ण रूप से शाखा खोल सकते हैं या फिर कोई 'आउटपोस्ट' बना सकते हैं जहां लोगों की बैंकिंग जरूरतों को पूरा किया जा सके. उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि कैसे ऊंची आर्थिक गतिविधियों वाले क्षेत्रों में बैंक नहीं पहुंचे हैं.
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