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थका कंप्यूटर अंक हुए समाप्त: जब शराब दुकान के लिए लगी 999-999 करोड़ की बोली, जानिए पूरा वाकया

jantaserishta.com
12 April 2021 5:17 AM GMT
थका कंप्यूटर अंक हुए समाप्त: जब शराब दुकान के लिए लगी 999-999 करोड़ की बोली, जानिए पूरा वाकया
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जबरदस्त चर्चा में हैं.

राजस्थान में शराब की दुकानों के लिए लगने वाली बोली जबरदस्त चर्चा में हैं. पहले हनुमानगढ़ जिले के नोहर के एक शराब की दुकान के 510 करोड़ की बोली लगी थी, अब उस रिकॉर्ड को तोड़ते हुए दौसा में एक शराब की दुकान के लिए ऐसी बोली लगाई गई है, जिसका दाम तब तक बढ़ता गया जब तक कम्प्यूटर सिस्टम में डालने के लिए अंक ही समाप्त हो गए.

दरअसल, यह बोली पूरे राजस्थान में चर्चा का विषय बन गई है. राजस्थान आबकारी विभाग द्वारा पहली बार प्रदेश में शराब के ठेकों की ऑनलाइन बोली लगाई जा रही है. दौसा जिले के साहपुर पाखर गांव के शराब के ठेके के लिए ऑनलाइन बोली लगाई जा रही थी. इस बोली में करण सिंह गुर्जर और नवल किशोर मीणा भाग ले रहे थे.
इन दोनों ने ही बोली लगाना शुरू किया और कंपटीशन में बोली 999 करोड़ रुपए से अधिक तक पहुंच गई. प्रथम बोली दाता करण सिंह गुर्जर ने 999 करोड़ 95 लाख 216 रुपए की बोली लगाई दूसरे नंबर पर बोलीदाता नवल किशोर मीना रहे. नवल किशोर ने भी करीब 999 करोड़ 90 हजार 216 रुपए की बोली लगाई.
बोली के दौरान ही 1000 हजार करोड़ या इससे से आगे कंप्यूटर में अमाउंट लेना ही बंद कर दिया वरना दोनों प्रतिद्वंदी अभी आगे भी अपनी बोली जारी रखते. आबकारी विभाग के जिला आबकारी अधिकारी अनिल कुमार जैन ने बताया कि करण सिंह गुर्जर और नवल किशोर मीना ने बोली 999 करोड़ रुपए से अधिक तक पहुंचाई है.
बताया गया कि अब ठेका लेने लिए पहले करण गुर्जर और फिर नवल मीना को मौका दिया जाएगा. यदि बोलीदाताओं के द्वारा शराब का ठेका लिया जाता है तो ठीक है वरना दोनों ही बोली दाताओं को 3 साल के लिए ब्लैकलिस्टेड किया जाएगा, जिसके बाद दोनों ही बोलीदाता आबकारी विभाग की दुकान व बीयर बार की बोलियों में भाग नहीं ले सकेंगे.
इसके साथ ही अमानत राशि दो लाख रुपए व 60 हजार आवेदन शुल्क को जब्त किया जाएगा. इधर यह सम्भावना जताई जा रही है कि दोनों ने नाक की लड़ाई के लिए बोली में कंपटीशन किया और 999 करोड़ से अधिक तक बोली पहुंचा दी.
इस दुकान की न्यूनतम रिजर्व प्राइज 1 करोड़ 84 लाख 65 हजार 216 रुपए थी. जो बोली के माध्यम से 999 करोड़ से अधिक पहुंच गई. यह बोली 10 अप्रैल को सुबह 11 बजे से 4 बजे तक पांचवें चरणमें लगाई गई थी. बोली के दौरान एक बार में कम से कम 5 हजार व अधिकतम बोली की राशि का 5 प्रतिशत हिस्सा ही बढ़ाया जा सकता था.
यह पहला मामला नहीं है जब राजस्थान में ऐसी बोली लगी हो. अभी हाल ही में हनुमानगढ़ जिले के कुईंयां में शराब की दुकान की बोली लगाई जा रही थी. शराब दुकान के लिए बोली 72 लाख से शुरू हुई और लगातार बढ़ती जा रही थी. इस शराब दुकान पर कब्जे के लिए एक ही परिवार की दो महिलाओं में होड़ मच गई.
यह बोली सुबह 11 बजे से शुरू हुई बोली रात 2 बजे जाकर 510 करोड़ रुपये पर समाप्त हुई. इस बोली में बताया गया है कि कुईंया गांव की ये शराब की दुकान पिछले वर्ष महज 65 लाख में बिकी थी.
इस वर्ष इस शराब की दुकान की बोली 72 लाख से शुरू की गई. इस दुकान की खरीद को लेकर कुईंया गांव के एक ही परिवार की दो महिलाओं में बहस छिड़ गई और बोली 510 करोड़ रुपये पर जाकर समाप्त हुई.
बता दें कि राजस्थान में शराब की दुकानों की इस तरह बोली लगाने का लोगों द्वारा विरोध भी किया जा रहा है. जो दुकानें पांच से दस लाख में बिकती थी, वो इस बार पांच से दस करोड़ में बिकी हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सभी बेरोजगारों को मौका देने के लिए और शराब माफियाओं को खत्म करने के लिए बोली का सिस्टम समाप्त कर लॉटरी का सिस्टम रखा था.
लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 15 साल पुरानी व्यवस्था को खत्म कर फिर से दुकानों की नीलामी करवा रहे हैं. शराब की दुकानों की लग रही बोली से सरकार को हजारों करोड़ रुपये राजस्व के रूप में प्राप्त हो चुके हैं.
इसी बोली के चलते यह भी कहा जाने लगा कि राजस्थान में अब शराब की दुकानें 'किस्मत वालों' की नहीं बल्कि 'पैसों वालों' की हैं. शराब के ठेकों के नए मालिक अब लॉटरी की बजाय नीलामी से हो तय हो रहे हैं.
हालांकि ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब दुकान के लिए अरबों रुपयों की बोली लगाकर लोग राशि जमा करवाने से मुकर भी रहे हैं. हालांकि इन सबके बावजूद भी लोग इन बोलियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.


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