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टीआईपीआरए ने भाजपा की सहयोगी आईपीएफटी से त्रिपुरा चुनाव साथ मिलकर लड़ने का आग्रह किया
jantaserishta.com
9 Jan 2023 2:28 AM GMT
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अगरतला (आईएएनएस)| प्रभावशाली आदिवासी पार्टी तिपराहा इंडिजिनस प्रोग्रेसिव रीजनल अलायंस (टीआईपीआरए) ने रविवार को सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) से आदिवासियों के सर्वागीण विकास के लिए आगामी विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ने का आग्रह किया। एक वीडियो संदेश में टीआईपीआरए सुप्रीमो और पूर्व शाही वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मन ने कहा कि टीआईपीआरए, आईपीएफटी, और अन्य सभी समान विचारधारा वाले दल आदिवासियों के हित के लिए आगामी विधानसभा चुनाव एक साथ एक समान प्रतीक में लड़ सकते हैं, जो त्रिपुरा की 40 लाख से अधिक आबादी का एक तिहाई हिस्सा हैं।
हालांकि, आईपीएफटी के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यमंत्री प्रेम कुमार रियांग ने कहा कि उन्हें अभी तक टीआईपीआरए से ऐसा कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है। रियांग ने आईएएनएस से कहा, "हम जल्द ही कार्यकारी समिति की बैठक करेंगे और सभी राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।"
आईपीएफटी 2009 से त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के तहत आने वाले क्षेत्रों को पूर्ण राज्य बनाने की मांग कर रहा है, जबकि टीआईपीआरए 2021 से अलग आदिवासी राज्य 'ग्रेटर टिपरालैंड' की मांग कर रहा है। देब बर्मन ने कहा, "अधिकांश राजनीतिक दल और उनके नेता पदों और सत्ता के लिए चुनाव लड़ रहे हैं, हम स्वदेशी आदिवासियों और उनके भविष्य के विकास और रक्षा के लिए लड़ रहे हैं।"
शिलॉन्ग से फोन पर आईएएनएस से बात करते हुए टीआईपीआरए प्रमुख ने कहा कि "सामान्य रूप से त्रिपुरा और विशेष रूप से आदिवासियों के विकास के लिए, सभी समान विचारधारा वाले समुदायों को एक साथ आना चाहिए।" देब बर्मन ने कहा, "चुनाव के बाद नेता दिल्ली वापस चले जाएंगे, लेकिन त्रिपुरा के पिछड़े और गरीबी से जूझ रहे लोगों को नुकसान उठाना पड़ेगा। असम, मिजोरम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों का विकास हुआ है, लेकिन त्रिपुरा पिछड़ा हुआ है।"
राज्य की कुल 60 सीटों में से 40 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने का संकेत देते हुए वह फरवरी में होने वाले चुनावों में अधिकतम सीटों पर जीत हासिल करने के लिए बहुत आशान्वित हैं। देब बर्मन की आईपीएफटी से एक साथ चुनाव लड़ने की अपील आईपीएफटी के अध्यक्ष और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री नरेंद्र चंद्र देबबर्मा के लंबी बीमारी के बाद निधन के एक हफ्ते बाद आई है।
इस बीच, आईपीएफटी के 8 में से तीन विधायक मेवार कुमार जमातिया, बृषकेतु देबबर्मा और धनंजय त्रिपुरा और भाजपा विधायक बरबा मोहन त्रिपुरा पिछले महीनों के दौरान टीआईपीआरए में शामिल हो गए, जिससे आईपीएफटी एक गंभीर संगठनात्मक संकट में पड़ गया।
जमातिया आईपीएफटी के महासचिव और भाजपा-आईपीएफटी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। टीआईपीआरए के वरिष्ठ नेता और टीटीएडीसी के उप मुख्य कार्यकारी सदस्य अनिमेष देबबर्मा ने कहा : "हमारा केवल एक एजेंडा है, वह है 'ग्रेटर टिपरालैंड' और टीटीएएडीसी क्षेत्र में रहने वाले तिप्रासा (आदिवासी) लोगों के लिए एक संवैधानिक समाधान। जब तक यह मुद्दा हल नहीं हो जाता, हम किसी के साथ किसी भी प्रकार का गठबंधन नहीं करने जा रहे हैं। हम भाजपा द्वारा की जा रही हिंसा का भी विरोध कर रहे हैं।"
भाजपा, माकपा, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित सभी प्रमुख दल त्रिपुरा के विभाजन या पूर्ण राज्य के रूप में टीटीएएडीसी के निर्माण का विरोध करते रहे हैं।
टीआईपीआरए अब राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 30 सदस्यीय टीटीएएडीसी पर शासन कर रहा है, जिसका त्रिपुरा के 10,491 वर्ग किमी क्षेत्र के दो-तिहाई क्षेत्र पर अधिकार है और 12,16,000 से अधिक लोगों का घर है, जिनमें से लगभग 84 प्रतिशत आदिवासी हैं। भाजपा, आदिवासी-आधारित पार्टी आईपीएफटी के साथ गठबंधन में, 2018 के विधानसभा चुनावों में सीपीआई-एम के नेतृत्व वाले वाम दलों को हराकर सत्ता में आई, जिसने दो चरणों (1978-1988 और 1993-2018) में 35 वर्षो तक पूर्वोत्तर राज्य पर शासन किया। भाजपा और आईपीएफटी ने 60 सदस्यीय सदन में क्रमश: 36 और 8 सीटें हासिल कीं, जबकि माकपा को 16 सीटें मिलीं।
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