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समलैंगिक विवाह का विरोध तीन राज्यों ने किया, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब

Nilmani Pal
11 May 2023 1:08 AM GMT
समलैंगिक विवाह का विरोध तीन राज्यों ने किया, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब
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दिल्ली। देश में समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को लेकर बुधवार को नौंवे दिन भी सुनवाई हुई. समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से जुड़ी याचिकाओं पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई कर रही है. केंद्र सरकार की ओर से मामले की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पांच सदस्यीय पीठ को बताया कि केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह पर राज्यों की राय जानने के लिए 18 अप्रैल को उन्हें पत्र लिखा था. इस दौरान तीन राज्यों ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए जाने का विरोध किया. केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बताया कि समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए जाने पर राय जानने के लिए सभी राज्यों को पत्र लिखा गया था. लेकिन अभी तक सात राज्यों मणिपुर, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, सिक्किम और राजस्थान से जवाब मिले हैं.

उन्होंने बताया कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के कॉन्सेप्ट का तीन राज्यों राजस्थान, असम और आंध्र प्रदेश ने विरोध किया है. वहीं, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मणिपुर और सिक्किम ने इस पर विचार करने के लिए थोड़ा और समय मांगा है. आंध्र प्रदेश ने केंद्र को लिखे जवाबी पत्र में कहा है कि उन्होंने इस मामले पर राज्य के विभिन्न धार्मिक प्रमुखों से चर्चा की, जिन्होंने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने के फैसले का विरोध किया.

इस मामले पर अपना रुख रखते हुए राजस्थान ने कहा कि समलैंगिक विवाह से समाज का ताना-बाना बिगड़ेगा, जिससे समाज और परिवार के ढांचे पर बुरा असर पड़ सकता है. वहीं, असम ने कहा कि कानून बनाने का विशेषाधिकार केंद्र और राज्य दोनों का है. अदालतों को हमारे लोकतांत्रिक ढांचे के मूल सिद्धांतों के अनुसार कानून से संबंधित मामलों को देखना चाहिए. इससे पहले बाल अधिकारों की रक्षा के राष्ट्रीय आयोग, महिला मंत्रालय और चाइल्ड डेवलेपमेंट की ओर से मामले में पेश हुई एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने पीठ को बताया कि इस केस का असर बच्चों पर पड़ेगा.

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