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BJP के तीन विधायक अमित शाह करते हैं 200 का दावा, प्रशांत किशोर ने कहा - डराना चाहते हैं

Apurva Srivastav
27 April 2021 5:46 PM GMT
BJP के तीन विधायक अमित शाह करते हैं 200 का दावा, प्रशांत किशोर ने कहा - डराना चाहते हैं
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पश्चिम बंगाल में चुनावी दौर अब अंतिम पड़ाव पर है। दो मई को परिणाम को लेकर सबकी उत्सुकता बढ़ती जा रही है।

पश्चिम बंगाल में चुनावी दौर अब अंतिम पड़ाव पर है। दो मई को परिणाम को लेकर सबकी उत्सुकता बढ़ती जा रही है। सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इंडियन एक्सप्रेस के 'Idea Exchange' कार्यक्रम में अपनी बातें खुलकर रखीं। कहा कि बंगाल में भाजपा के तीन विधायक हैं, अमित शाह दावा कर रहे हैं कि 200 विधायक बनाएंगे। वे हमें डराना चाहते हैं।उन्होंने कहा कि टीएमसी का नारा 'खेला होबे' और 'बंगला निजेर मेकेई चाए' बंगाल में बीजेपी को रोकने के लिए अच्छी तरह सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने इस नारे के पीछे के तर्क को बताया और यह भी बताया कि यह क्यों जरूरी था। उन्होंने बताया कि बंगाल में हमने क्यों कहा कि खेला होबे। लोग इसे समझते हैं। प्रशांत किशोर ने कहा, "बीजेपी इलेक्शन में आने से पहले एक मनोवैज्ञानिक दहशत पैदा कर दी है। बीजेपी को छोड़ किसी के लिए कोई अवसर नहीं है। बंगाल में बीजेपी तीन विधायकों वाली पार्टी है। अमित शाह आते हैं और दावा करते हैं कि हम 200 विधायक बनाएंगे।

कहते हैं कि दीदी गईं, दीदी अकेले हो गईं। उनके साथ कोई नहीं है। वे आप पर ऐसा मनोवैज्ञानिक दबाव बनाएंगे कि आप बिना लड़े ही मैदान छोड़ दीजिए। इसलिए हम कहते हैं कि वहां खेल चल रहा है। हम वहां थे। अगर हम हारते हैं तो भी अंत तक लड़ते हैं। इसलिए यह बंगाल में बड़ी चीज बन गई है। आइए खेला होबे। इतना ज्यादा कि प्रधानमंत्री भी इस पर रोजाना प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं।
इसका दूसरा हिस्सा ममता को दीदी से बेटी साबित करना है। जब आप किसी को अम्मा, दीदी कहते हैं तो आप उनमें देने वाला देखते हैं, सुरक्षा करने वाला देखते हैं, सर्व शक्तिमान देखते हैं। आप कहते हैं कि हम रक्षात्मक मुद्रा में है। मैं कहता हूं कि नहीं, वह बेटी हैं। आपको उनके साथ खड़े होने की जरूरत है। क्योंकि वह पीड़ित हैं।
इसलिए नारे "बंगला निजेर मेकेई चाए।" हम इसे नहीं कहते हैं "बंगला निजेर दीदी कोई चाए।" यह अच्छी तरह सोची गई चीज है कि हम आपसे इस चुनावी लड़ाई में डर नहीं रहे हैं। और दूसरी बात कि हम चाहते हैं कि लोग अपनी बेटी के साथ खड़े हों। चाहे आप इसे उप क्षेत्रवाद कहना चाहें या नहीं क्यों आपके पास दीदी से शिकायत हो सकती है, लेकिन आपको अपनी बेटी से शिकायत नहीं हो सकती है।


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