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एनपीपी व बीजेपी के समक्ष मेघालय को खोने का खतरा

jantaserishta.com
15 Jan 2023 11:33 AM GMT
एनपीपी व बीजेपी के समक्ष मेघालय को खोने का खतरा
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फाइल फोटो
गुवाहाटी (आईएएनएस)| कई पुलिस शिकायतें और मेघालय में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बर्नार्ड मारक की पिछले साल गिरफ्तारी ने पार्टी और उसकी सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के बीच संबंध खराब कर दिए हैं। कोनराड संगमा की पार्टी ने पहले ही 60 सदस्यीय मेघालय विधानसभा की 58 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। दोनों गठबंधन सहयोगियों ने राज्य चुनाव में अकेले उतरने का फैसला किया है, जबकि भाजपा ने अभी तक उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप नहीं दिया है।
गारो हिल्स स्वायत्त जिला परिषद के निर्वाचित सदस्य मारक पर अपने फार्महाउस में वेश्यालय चलाने का आरोप लगाया गया था। पुलिस के मुताबिक, उसके घर से हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया है। बीजेपी नेता पर अपने फार्महाउस में तीन साल की बच्ची से रेप करने का भी आरोप लगा था। वह फरार था और बाद में उसे उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया था।
हाल ही में मारक को तीन महीने जेल में बिताने के बाद कोर्ट से जमानत मिल गई। उन्होंने घटना में साजिश का आरोप लगाते हुए इशारा किया कि उनकी गिरफ्तारी के पीछे मुख्यमंत्री का हाथ है। मारक ने यह भी घोषणा की है कि वह दक्षिण तुरा सीट से कोनराड संगमा के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।
लेकिन यह केवल मारक का मामला नहीं है, ऐसे कई अन्य बिंदु हैं, जहां हाल के दिनों में एनपीपी और बीजेपी में मतभेद है। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लिए भारतीय जनता पार्टी की मजबूत पिचिंग, मुकरोह गांव में गोलीबारी की घटना, जहां असम पुलिस द्वारा गोलियों के कारण पांच नागरिकों की मौत हो गई थी, ने गठबंधन में और सेंध लगा दी है।
भाजपा, 2018 में प्रदेश में एक मजबूत प्रदर्शन करने के बारे में आश्वस्त थी और मेघालय में अच्छी संख्या में सीटें जीतने की उम्मीद कर रही थी।
लेकिन नतीजे बीजेपी के लिए एक बड़े झटके के रूप में आए। पार्टी खासी हिल्स क्षेत्र से केवल दो सीटें जीतने में सफल रही और गारो हिल्स में भी जीत हासिल करने में विफल रही, जहां उसे 5-6 सीटें जीतने की उम्मीद थी। बाद में भाजपा ने एनपीपी के साथ गठबंधन किया और पांच वर्ष तक सत्ता में रही।
भगवा खेमे का मानना है कि उन्होंने पिछले साल की हार से सबक सीखा है, जब गोमांस पर प्रतिबंध और कुछ नेताओं की अन्य टिप्पणियों से वोटों को नुकसान पहुंचा था।
एनपीपी और तृणमूल कांग्रेस के कुछ विधायकों के पार्टी में आने से भी उनके जनाधार में मजबूती आई है। राज्य के अन्य प्रमुख नेता भी भाजपा में शामिल हो गए। पार्टी को इस बार गारो हिल्स इलाके से कम से कम पांच सीटें जीतने का अनुमान है। हालांकि यह साफ है कि मेघालय में बीजेपी अपने दम पर सरकार नहीं बना सकती।
2018 में एनपीपी ने 20 सीटें जीतीं और भाजपा, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) और हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) के समर्थन से सरकार बनाई। यूडीपी और एचएसपीडीपी भी कोनराड संगमा की पार्टी के साथ गठबंधन किए बिना चुनाव लड़ रहे हैं। एचएसपीडीपी ने यूडीपी के हाथों कई नेताओं को खो दिया है। अब उसके पास वोट हासिल करने की ताकत बहुत कम है।
अब यह सवाल यह है कि क्या एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने से एनपीपी, बीजेपी और यूडीपी के बीच वोट बंट जाएंगे, जो चुनाव में जीत हासिल करने के लिए तृणमूल या कांग्रेस पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
अभी तक उत्तर नहीं है। एनपीपी ने विधानसभा में स्पष्ट बहुमत पाने का दावा किया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कॉनराड संगमा की पार्टी आगामी चुनावों में सबसे आगे चल रही है। बीजेपी और यूडीपी दोनों ही सभी सीटों पर नहीं लड़ेंगी।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक बीजेपी करीब 20-25 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी, जबकि यूडीपी बीजेपी से कम सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। इसलिए बाकी सीटों पर वोटों में बंटवारे का फॉर्मूला काम नहीं करेगा। एनपीपी दो सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारेगी, इस प्रकार भाजपा और यूडीपी में से प्रत्येक से एक उम्मीदवार के जीतने का मार्ग प्रशस्त होगा।
इसके अलावा खासी लोग तृणमूल कांग्रेस को एक बंगाली बहुल पार्टी के रूप में देखते हैं, और उन्हें वोट देने के लिए उनका स्पष्ट विरोध है। कांग्रेस ने अपनी ताकत खो दी है। राजनीतिक पंडित कह रहे हैं कि पार्टी मुश्किल से 3-4 सीटें जीत सकती है।
इस परि²श्य में, या तो एनपीपी के स्पष्ट बहुमत से जीतने या चुनाव के बाद भाजपा और यूडीपी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाने की संभावना काफी अधिक है। सूत्र कह रहे हैं कि कॉनराड संगमा ने बातचीत की खिड़की खुली रखी है, और परिणाम के बाद पहाड़ी राज्य में पिछली बार की भांति सरकार की सबसे अधिक संभावना है।
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