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जो नहीं हुए कोरोना पॉजिटिव, क्या उनको भी हो सकता है ब्लैक फंगस? जानिए इसका जवाब

jantaserishta.com
24 May 2021 3:20 AM GMT
जो नहीं हुए कोरोना पॉजिटिव, क्या उनको भी हो सकता है ब्लैक फंगस? जानिए इसका जवाब
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नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण की महामारी से जूझ रहा भारत अब 'म्यूकर माइकोसिस' यानी ब्लैक फंगस नाम की बीमारी की चपेट में आ गया है. इस बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह ब्लैक फंगल उन लोगों को भी हो सकता है जो कोरोना संक्रमित नहीं हुए हैं. जिनकी इम्यूनिटी कमजोर, शुगर, गुर्दे या दिल की बीमारी है उन्हें ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.

नीति आयोग (स्वास्थ्य) के सदस्य वीके पॉल ने कहा, "यह एक संक्रमण है जो कोविड से पहले भी मौजूद था. ब्लैक फंगस के बारे में मेडिकल छात्रों को जो सिखाया जाता है वह यह है कि यह डायबिटीस से पीड़ित लोगों को संक्रमित करता है. अनियंत्रित मधुमेह और कुछ अन्य महत्वपूर्ण बीमारी के संयोजन से ब्लैक फंगस हो सकता है."
बीमारी की गंभीरता के बारे में बताते हुए डॉ पॉल ने कहा कि 'ब्लड प्रेशर का स्तर 700-800 तक पहुंच जाता है. इस स्थिति को कीटोएसिडोसिस कहा जाता है. ब्लैक फंगस का हमला, बच्चों या वृद्ध लोगों में होना आम है. निमोनिया जैसी कोई अन्य बीमारी खतरा बढ़ा देती है. अब कोविड भी है जिसकी वजह से इसका प्रभाव बढ़ गया है. लेकिन कोविड के बिना भी लोगों को ब्लैक फंगस हो सकता है अगर अन्य कोई बीमारी है.' वहीं एम्स के डॉ निखिल टंडन का कहना है कि स्वस्थ लोगों को ब्लैक फंगस के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है. जिन लोगों में इम्युनिटी कमजोर होती है, उन्हें ही ज्यादा जोखिम है.
देश में अबतक इस गंभीर बीमारी के करीब नौ हजार केस दर्ज किए जा चुके हैं. कई राज्यों ने ब्लैक फंगस को महामारी भी घोषित कर दिया है. जानिए देश में ब्लैक फंगस को लेकर क्या ताजा अपडेट है. ब्लैक फंगस उन लोगों में ज्यादा फैल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर, शुगर, गुर्दे की बीमारी, दिल की बीमारी रोग और जिनको उम्र संबंधी परेशानी है या फिर जो आर्थराइटिस (गठिया) जैसी बीमारियों की वजह से दवाओं का सेवन करते हैं.
अगर ऐसे मरीजों को स्टेरॉयड दी जाती है तो उनकी इम्यूनिटी और कम हो जाएगी, जिससे फंगस को प्रभावी होने का मौका मिलेगा. ऐसे में डॉक्टरों की उचित देखरेख में समुचित तरीके से स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. स्टेरॉयड गंभीर रूप से बीमार कोविड मरीजों के लिए एक जीवन रक्षक उपचार माना जाता है हालांकि इसके कुछ दुष्प्रमाण भी सामने आ रहे हैं.

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