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राजस्थान की वो 82 विधानसभा सीटें जो चुनावों में बनेगी गेमचेंजर

Shantanu Roy
7 Sep 2023 10:15 AM GMT
राजस्थान की वो 82 विधानसभा सीटें जो चुनावों में बनेगी गेमचेंजर
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राजस्थान। राजस्थान में विधानसभा की 82 सीटें ऐसी हैं जो बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन सीटों पर जाट और किसान बहुसंख्यक हैं। ये जिस पार्टी के समर्थन में होते हैं, उसके लिए चुनाव के फाइनल नतीजे निर्णायक साबित हो सकते है। पिछले दो विधानसभा चुनावों में जाट और किसान ने चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2013 में जाटों ने कांग्रेस से नाराज होकर बीजेपी को समर्थन दिया था। इससे बीजेपी को भारी जीत मिली और सत्ता में काबिज हुई। 2018 में जाटों ने फिर से कांग्रेस का समर्थन किया, जिससे अशोक गहलोत राज्य के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे। अब 2023 के विधानसभा चुनाव में जाट और किसान की भूमिका फिर से महत्वपूर्ण होने की उम्मीद है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए जाट और किसान के समर्थन को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
बीजेपी राजस्थान के चुनाव में जाटों और किसानों को फिर से पार्टी के पक्ष में लाने के लिए सतीश पूनियां को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया है। पूनिया एक जाट नेता हैं, और वे जाटों को बीजेपी के साथ जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं। बीजेपी ने किसानों के लिए भी कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं, ताकि वे किसानों का समर्थन हासिल कर सकें। इस बारे में राजस्थान की राजनीति को अच्छे से समझने वाले लोगों का कहना है कि 'वर्ष 2018 में जाटों की वजह से बीजेपी को नुकसान हुआ है। पार्टी के जाट दूर हो गए। जाटों और बीजेपी के बीच बने गैप को भरने की सतीश पूनिया कोशिश कर रहे हैं। बीजेपी ने इसी वजह से सतीश पूनिया को फिर से जिम्मेदारी दी।
कांग्रेस भी जाटों और किसानों के समर्थन को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। कांग्रेस ने जाट नेताओं को महत्वपूर्ण पद दिए हैं, और वे किसानों के लिए कई विकास योजनाएं शुरू की हैं। कांग्रेस की तरफ से अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा भी जाट और किसानों के प्रभाव वाली सीटों पर दौरे कर रहे हैं। जाट और किसान नेता अभी भी 2023 के चुनाव में अपनी स्थिति के बारे में स्पष्ट नहीं हैं। कुछ जाट नेता मानते हैं कि भाजपा जाटों का विश्वास जीतने में सक्षम होगी, जबकि अन्य मानते हैं कि कांग्रेस जाटों का समर्थन हासिल करने में सक्षम होगी। किसान नेता भी अभी तक किसी एक पार्टी का समर्थन करने के लिए तैयार नहीं हैं। जाट महासभा के राजाराम मील का कहना है कि विधानसभा चुनाव में अभी वक्त बचा है। समय आने पर देखा जाएगा कि हमें किस पार्टी को समर्थन करना चाहिए।
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