सर्दियों में पड़ने वाले कोहरे में सिग्नल की जानकारी देगी यह ख़ास डिवाइस
दिल्ली: सर्दियों के मौसम में जब कोहरा पड़ता है तो इस दौरान ट्रेन के ड्राइवर को सिग्नल देखना बड़ा मुश्किल हो जाता है। जिसके लिए रेलवे ने एक नई डिवाइस रेल ड्राइवरों को दी है। यह डिवाइस स्टेशन कर्मचारियों के माध्यम से रेल इंजन के बाहर लगाई जाएगी। सिग्नल के करीब 270 मीटर पहले ही डिवाइस का सायरन बज जाएगा। जिसके बजने से ड्राइवर को सिग्नल का पता चल जाएगा और वह रेल की स्पीड़ कम कर आसानी से सिग्नल पार कर लेगा। गौरतलब है कि सर्दियों के मौसम में हर साल कोहरा पड़ने पर ट्रेनों के संचालन में समस्या पैदा होती है। हजारों यात्रियों को लेकर अपने गणतव्य की और जाने वाली ट्रेनों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडराने लगता है। अब रेलवे ने इस समस्या से निजात दिलाने के लिए डिवाइस हर ट्रेन के चालक को दी। यह डिवाइस कॉफी दूर से चालक को नजर नहीं आने वाले सिग्नल की जानकारी दे देती है। जिससे चालक को ट्रेन का संचालन करने में सुविधा होती है। वहीं, इस संबंध में स्टेशन मास्टर आरपी सिंह ने बताया कि राजधानी रूट पर डिस्टेंसिंग सिग्नल डबल होने की वजह से दो किमी पहले ही लोको पायलटों को स्टेशन व सिग्नल के आने का पता चल जाता है, लेकिन अन्य स्टेशनों पर रेलवे ने चालकों की सुविधाओं के लिए फॉग सिग्नल डिवाइस उपलब्ध करा दी। यह डिवाइस सिग्नल व स्टेशन से करीब 270 मीटर पहले बजकर चालकों को सतर्क कर देगी। अब कोहरे में किसी दुर्घटना के होने पर ही पटाखे जलाए जाएंगे। पटाखे जलने से चालक को आगे हो रही किसी प्रकार की दुर्घटना होने का पता चल जाएगा और वह ट्रेन की गति नियंत्रित कर लेगा।
ट्रेनों की लेटलतीफी होगी कम: रेलवे ने जिस एफएसडी (फॉग सिग्नल डिवाइस) को चालकों को दिया है। उससे न केवल यात्रियों की सुरक्षा होगी बल्कि इस डिवाइस की मदद से कोहरे की वजह से लेट होने वाली ट्रेनों को भी रोका जा सकेगा। जिसका परिणाम यह होगा कि यात्री अपने गणतव्य तक समय से पहुंचेगे और लंबी दूरी की ट्रेनों को भी समय से यात्रा पूरी करने में मदद मिलेगी।
ऐसे काम करती है डिवाइस: डिवाइस को इंजन के बाहर लगा दिया जाता है। जो जीपीएस की मदद से आॅडियो और वीडियो के माध्यम से लोको पायलटों को सायरन बजकर सतर्क कर देती है। फॉग डिवाइस में सिग्नल से पहले स्टेशन और समपार फाटक का नाम और नंबर गूंजने लगता है। जिससे चालक को स्क्रीन पर रेल लाइन के आगे के सिग्नल, फाटक और स्टेशन भी दिखने लगते है। इससे चालक रेल की गति को नियंत्रित कर आसानी से सिग्नल पार कर लेता है।